Bhilwara News: मांडलगढ़ में UMDS गोलच्छा ग्रुप की 4 खदानों को खनिज विभाग ने सीज कर बन्द करा दिया गया है, और खदानों पर नोटिस चस्पा कर खान संचालकों को पाबंद किया गया हैं, फिर भी संचालकों द्वारा खदानों में लुकाछिपी कर अवैध खनन किया जा रहा है,वहीं 2 खदानों के फर्जी रवन्ना-बिल्टी बना कर हजारों टन मिनरल राज्य से बाहर भेजने का मामला सामने आया है,


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मांडलगढ़ ओर कोटड़ी में उदयपुर मिनरल डेवलपमेंट सिंडिकेट प्राइवेट लिमिटेड गोलच्छा ग्रुप को खनिज विभाग ने सोप स्टोन की 4 खदानें करीब 8 दशक पहले 1 हजार हेक्टेयर में आवंटित की थी,जो कोटड़ी के गेवरिया,बागवासा, ओर मांडलगढ़ के चैनपुरा व आसन माता में स्थित है. खान संचालकों ने केवल गेवरिया ओर चैनपुरा की की खदानों में ही जमकर सोपस्टोन का खनन किया,जबकि आसन माता और बागवासा की खदानों में खनन कार्य बहुत कम मात्रा में किया और बाद में खदानों को बन्द रखा, क्योंकि इन दोनों खदानों में टॉप क्वालिटी का मिनरल था,
लेकिन आसन माता और बागवासा की खदानों के नाम से मिनरल का रवन्ना व बिल्टी जारी होते .


कई अनियमिताएं आई सामने
इन गोलच्छा ग्रुप की खदानों में खनिज विभाग की टीम ने जांच की तो इनमें कई अनियमिताएं निकल कर सामने आई. खदानों में खान श्रमिक सुरक्षा, सीमा पीलर,माइनिंग नियमों की अवहेलना,प्रदूषण नियम और पर्यावरण को नुकसान समेत कई तरह की खामियां सामने आई,


इस मामले में गोलच्छा ग्रुप को खनिज विभाग द्वारा ने कई बार नोटिस जारी किए,लेकिन इनका जवाब नहीं दिया गया. खनिज विभाग के अधिकारियों की टीम गत दिसम्बर में खदानों की फिर से जांच की तो भी माइनिंग नियमों की धज्जियां उड़ती मिली.


इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए खान एवं भू-विज्ञान निदेशक उदयपुर ने 2 मार्च को गोलच्छा ग्रुप की चारों खदानों के खनन पट्टे को खारिज करने के आदेश जारी किए.और 4 मार्च को गेवरिया,बागवासा,चैनपुरा ओर आसन माता में सोपस्टोन की खदानों को सीज कर खनिज विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है,मौक़े पर नोटिस चस्पा किए गए. खान संचालकों ने इन चस्पा नोटिस को भी हटा कर फैंक दिया.


आपको बता दें कि गोलच्छा माइंस ग्रुप के संचालको के राजनीतिक और प्रशासनिक रसूखात के चलते नियमों को ताक में रख कर अबतक बेतरतीब ओर अंधाधुंध सोपस्टोन का खनन होता आया है, ओर खान संचालकों द्वारा बनास नदी और वन भूमि में खनन मलबा डाल कर पर्यावरण को भारी नुक्सान पहुंचाया हैं.हालांकि इस मामले में ग्रामीणों द्वारा कई बार शिकायतें भी की थी,लेकिन खनिज विभाग के अधिकारियों का संरक्षण मिलने के कारण बड़ी कार्रवाई नहीं होती थी.
नोट-इस खबर के बाइट ओर वीजुअल साथ मे हैं.