जैविक खेती से ककड़ी,टमाटर और शिमला मिर्ची उगा कर लाखों रुपये कमा रहे रज्जाक और इकबाल
Bhilwara News: भीलवाड़ा के बीगोद कस्बे में जैविक खेती अब्दुल रज्जाक और उनके भाई मोहम्मद इकबाल ककड़ी, टमाटर, शिमला मिर्ची, अमरूद और संतरे की खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. जो यहां के किसानों के लिए किसी रोल मॉडल से कम नहीं.
Bhilwara, Mandalgarh: भीलवाड़ा में मांडलगढ़ क्षेत्र में एक छोटे सा कस्बा हैं. बीगोद, जहां कम पढ़े लिखे एक युवक पर बागवानी की जैविक खेती करने का जुनून सवार हो गया. कड़ी मेहनत और लगन से खुद की जिंदगी को तो बदला ही हैं, लेकिन मौजूदा दौर में अन्य किसानों ओर कृषि विशेषज्ञों के लिए रोल मॉडल बन गया हैं.
मांडलगढ़ तहसील के बीगोद निवासी युवा किसान अब्दुल रज्जाक के बुजुर्ग पिता हारून आजाद खीरा ककड़ी खाने के शौकीन थे, बाजार में रसायनिक खाद और कीटनाशक दवाइयों से उपजाई गई खीरा ककड़ी उपलब्ध होती थी. वो ककड़ी रज्जाक के पिता हमेशा खाते थे, लेकिन इस दौरान रज्जाक के बुजुर्ग पिता की कैंसर रोग से मृत्यु हो गई, अब्दुल रज्जाक ने बागवानी से जैविक खेती की ऐसी अलख जगाई कि वह आज लोगों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं. अब वह जैविक खेती के माध्यम से सालाना 1 करोड़ रुपये की ऑर्गेनिक फसल की उपज हासिल कर रहे हैं.
युवा किसान अब्दुल रज्जाक लौहार ने अपने 10 एकड़ जमीन में जैविक खेती से खीरा ककड़ी, टमाटर, शिमला मिर्ची, भिड़ी और लौकी जैसी सब्जियों के साथ अमरूद, संतरे, स्टॉकबेरी जैसे फल की खेती की शुरुआत की. शुरुआती दौर में खेती पर कितनाश दवाइयों का खर्च अधिक होने से कमाई कम होती थी, लेकिन रज्जाक ने अपने आइडियाज (सूझबूझ) से दवाइयों के लिए देशी जुगाड़ से खुद की प्रयोगशाला बना कर किट नाशक ओर जैविक खाद बनाना शुरू किया,
इससे अब बागवानी से रज्जाक को सालाना 1 करोड़ रुपये की कमाई होने लगी है.
बागवानी खेती में रज्जाक के बड़े भाई मोहम्मद इकबाल ने भी 5 एकड़ भूमि में पॉली हॉउस लगा कर ऑर्गेनिक खीरा ककड़ी ओर सघन अमरूद का बगीचा लगाया हुआ है. अमरूद ओर खीरा ककड़ी की मिठास ओर स्वाद से फलों के व्यापारी एडवांस रुपए देकर दोनों युवा किसान से फल और सब्जियां खरीदने लगे है, अब्दुल रजाक अपनी खुद की जैविक प्रयोगशाला में नित नए नए प्रयोग कर भीलवाड़ा जिले के साथ राजस्थान के अन्य किसानों को भी ऑर्गेनिक फार्मिंग करने का नुख्सा बताते हैं.
अब्दुल रज्जाक को कृषि विभाग द्वारा राज्य स्तर पर बेस्ट फार्मर अवार्ड मिला, वहीं प्रशासन ने जिला ओर उपखण्ड स्तर पर बेस्ट फार्मर का अवार्ड दिया हैं, अब्दुल रजाक कहते हैं कि उनकी सारी उपज भीलवाड़ा मंडी में बिकता है. वह खेती के दौरान गोबर की खाद वर्मी कंपोस्ट और अन्य कीटनाशक सभी में जैविक ही प्रयोग करते हैं. फसल पर वह जीवामृत,गोमूत्र, देसी खाद और हरे पत्तों की खाद जीवाणु कल्चर के अलावा बायो पेस्टीसाइड और बायो एजेंट जैसे क्राइसोपा का प्रयोग करते हैं, इससे उनकी फसल की उपज बढ़ती है. अब्दुल रज्जाक ओर इनके भाई मोहम्मद इकबाल से प्रदेश भर के कई किसान ऑर्गेनिक खेती की जानकारी लेने आते हैं.
जीएल चावला, आत्मा प्रोजेक्ट के उपनिदेशक कृषि विभाग भीलवाड़ा ने बताया कि जैविक खेती करने वाले अब्दुल रज्जाक बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. वह सिर्फ नवीं कक्षा पास हैं. हालांकि,ऑर्गेनिक फार्मिंग में यह इनोवेटिव फार्मर हैं. सभी प्रकार के जैविक खाद और कीटनाशक खुद ही तैयार करते हैं. वह जैविक खेती के साथ-साथ पोल्ट्री फार्म में मुर्गी पालन का काम भी बड़े पैमाने पर करते हैं. रज्जाक राज्य के किसानों के लिए एक रोल मॉडल बन चुके हैं. दोनों भाइयों की कड़ी मेहनत और जुनून से हांसिल होने वाले ऑर्गेनिक फल ओर सब्जियों के स्वाद के लोग दीवाने हो गए है, इनके फल ओर सब्जियों को मंडी व्यापारी विदेश में भी निर्यात करते है.
Reporter- Dilshad Khan