Bhilwara news: देश भर में एकतरफ जहां सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा और सड़कें भी प्रदान करने का वादा करती है वहीं दूसरी तरफ हर रोज़ कई ऐसी खबरें सामने आती है जो इस पर सवालिया निशान खड़ी कर देती है . ऐसा ही एक मामला कोटड़ी उपखंड क्षेत्र के घेवरिया गांव से सामने आया है जहां पर बारिश के समय के दौरान गांव के 35 बच्चे स्कूल जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे खाल को पार करते हैं. 


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इन बच्चों को खाल के पार आने जाने को रस्सी के सहारे के सिवाय और कोई चारा नहीं है, जब अधिक बारिश के दौरान खाल अपना रौद्र रूप दिखाता है तो या तो विद्यार्थी विद्यालय नहीं जा पाता या फिर तीन किलोमीटर के लिए 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर विद्यालय जाना पड़ता है . कांटी ग्राम पंचायत मुख्यालय स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जो घेवरिया गांव से तीन किमी दूर है, विद्यार्थियो को बारिश के दिनों में रस्सी के सहारे जान जोखिम में डालकर खाल को पार करना पड़ता है. 


 



स्कूली बच्चे अपना भविष्य संवारने के लिए इस खाल को पार करके स्कूल जाते हैं . इन तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि वहां के विद्यार्थी किस तरह से अपनी जान जोखिम में डालकर खाल पार कर रहे हैं . ग्राम पंचायत कांटी के अंतर्गत आने वाले इस गांव घेवरिया में लगभग 1200-1300 लोगों की आबादी है, ग्राम पंचायत तक पक्की सड़क का निर्माण है, लेकिन इस मार्ग का एक मात्र खाल जिसमें ना तो पानी निकलने के लिए पाइप डाल रखे और ना ही पक्का निर्माण किया हुआ है, जिस पर बारिश के मौसम में विद्यार्थियों व ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 


जिससे बारिश के दौरान खाल पार करते समय कभी भी बड़ा हादसा हो सकता. इस संबंध में विद्यालय के द्वारा शिक्षा विभाग, जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र भेजकर इस समस्या से अवगत कराया. लेकिन अब तक को समाधान नहीं हुआ है. जिस कारण हर बार बारिश के दौरान विद्यार्थियों को जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे खाल को पार करके विद्यालय जाना पड़ता है. जानकारी के अनुसार खाल पर पुलिया निर्माण नहीं होने के चलते प्रति वर्ष विद्यालय में घेवरिया गांव के बच्चों का नामांकन कम होता जा रहा है . 


ग्रामीण बच्चों और बुजुर्गों को रस्सी के सहारे पीठ पर सवार करके नाला पार कराते हैं . जब अधिक बारिश होती है तो कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. आवश्यक सामान की खरीदी के लिए ग्रामीणों को गांव से बाहर जाने के लिए भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया गांव में जब भी कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उस मरीज को खटिया पर लिटा कर ले जाना पड़ता है. गर्भवती महिला को पहले ही गांव से बाहर भेज दिया जाता ताकि बारिश में परेशानी न हो.


इनका ये कहना
पुलिया नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को आने जाने का समस्या का सामना करना पड़ता है पिछले वर्ष भी मैंने अपना निजी साधन लगाकर घेवरिया से हाजीवास व मोडिया खेडा होते हुए विद्यार्थियों को काटी विद्यालय में पहुंचाया . पुलिया निर्माण के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट फंड ( DMFT ) से 4 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत है लेकिन टेंडर नहीं होने के कारण अब तक पुलिया का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है.