Bhilwara news: सवाईपुर कस्बे के पास बनकाखेड़ा गांव में कोठारी नदी किनारे स्थित बोहरी माता नवनिर्मित मंदिर पर आयोजित तीन दिवसीय 11 कुंडीय शतचंडी महायज्ञ के आखिरी दिन आज शिखर मंदिर पर स्वर्ण कलश स्थापना के साथ महायज्ञ की पूर्णाहुति हुई . हरि बोल प्रभात फेरियां का भी हुआ संगम . उदयलाल फौजी व बलराम वैष्णव ने बताया कि बनकाखेड़ा व ककरोलिया माफी मार्ग पर कोठारी नदी के किनारे स्थित बोहरी माता के नवनिर्मित शिखर मंदिर व रतियाव महादेव जी मंदिर पर प्रातः 11:15 बजे मंत्रोचार के साथ स्वर्ण कलश की स्थापना की गई . 


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माताजी मंदिर पर कुल 9 कलशों की स्थापना की, तो एक कलश महादेव जी के मंदिर पर स्थापित किया, आज सुबह स्थापित देवी देवताओं की पूजा अर्चना की गई, आचार्य भेरूलाल शर्मा सातोला का खेड़ा व उपाचार्य प्रकाश व्यास दांथल सहित कुल 14 पंडित मंत्रोचार के साथ हवन कुंडों में आहुतियां . दोपहर 12:15 बजे महा आरती के साथ शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति हुई . यज्ञशाला में विराजमान बनकाखेड़ा सहित ककरोलिया माफी व लसाडिया गांवों के चारभुजा नाथ के बैवाण अपने निज मंदिर पहुंचे . यज्ञशाला में 11 कुंड पर 26 जोड़ो ने हवन कुंड में आहुतियां लगाकर, क्षेत्र के सभी गांवों में सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना की तथा आने वाले रोग दोष का निवारण की प्रार्थना की.


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पूर्णाहुति से पहले सुबह 9:15 बजे से बनकाखेड़ा गांव में स्थित शिवालय से हरि बोल प्रभात फेरी का शुभारंभ हुआ, जो हरिनाम कीर्तन करते हुए कोठारी नदी किनारे स्थित माताजी मंदिर परिसर में पहुंची. पूर्णाहुति के बाद प्रसादी का सभी ग्राम देवी देवताओं को भोग लगाकर प्रसादी का वितरण किया . पूर्णाहुति के दौरान बनकाखेड़ा, ककरोलिया, लसाडिया, सालरिया, सवाईपुर, ढ़ेलाणा, ड़साणिया का खेड़ा, कंवलियास, चावंडिया सहित आसपास के दर्जनों गांवों से भक्तगण पहुंचे. वहीं लगे मेले में महिलाओं व युवतियों ने जमकर खरीदारी की तथा ग्रामी डॉलर, चकरी, झुले आदि का बच्चे बड़े सभी ने खूब लुफ्त उठा रहे.


शिखर मंदिर निर्माण की 10 लाख की लागत
उदय लाल फौजी ने बताया कि तकरीबन 10 लाख की लागत से बोहरी माता के शिखर मंदिर का निर्माण हुआ, वही मंदिर निर्माण के दौरान क्षेत्र वासियों ने इच्छा अनुसार श्रमदान कर अपना सहयोग दिया . मंदिर का निर्माण राजाराम वैष्णव ककरोलिया माफी के द्वारा किया गया, मंदिर की ऊंचाई धरातल से शिखर तक कुल 51 फीट की ऊंचाई है . आसपास के कई गांवों के लोगों ने मंदिर निर्माण में अपना सहयोग दिया.


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