Jahazpur News: इंसान खुद को सबसे अधिक बलवान समझता है. शायद इसी का परिचय देने के लिए वो अकसर बेजुबान जानवरों पर जुल्म ढाता है, लेकिन इंसानों के बीच भी कुछ ऐसे फरिश्ते हैं, जो जानवरों के बारे में सोचते हैं. उन्हें ये पता है कि धरती जितनी हमारी है उतनी ही उन बेजुबानों की भी है. ऐसे ही कुछ लोग भीलवाड़ा जिले की कोटडी में जिन्होंने डेढ़ साल पुर्व कस्बे के ही गौरव सुवालका के सामने तड़पते हुए पशु को देखकर दिल उफ निकल आया और उस बेजुबान पशु का उपचार करने का मानस बना उस से पुर्व ही वह पशु ने दम तोड़ दिया. पशु कि तड़फ सुवालका के मन में बेसहारा पशुओं के सहारे कि अलख जगा गया.


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साथ ही आज बेजुबान जानवरों के दर्द को कम करने के लिए उनके साथी ही नहीं बल्की हर कोई इंसान तन मन धन से सहयोग करने को आतुर आने लगे हैं. दर्जन भर साथी अलग-अलग समय पर हाथ बंटाते नजर आ रहे हैं और इन्ही के प्रयासों से दर्द का छुटकारा पा चुके हैं.


दूसरों की मदद करना इंसानियत
अपनी परवाह किए बिना दूसरों की मदद करना, अपने दुखों को भूलकर दूसरे को मरहम लगाना और बेजुबानों से प्यार करना ही इंसानियत है. कोटडी के सवाईपुर रोड पर युवा एनिमल रेस्क्यू टीम मिसाल पेश कर रहे है. एनिमल रेस्क्यू टीम के सदस्य कोटडी के सवाईपुर रोड पर पास एक छोटा सा टेक-केअर होम संचालित कर जानवरों की देखभाल करने के लिए यह खुद अपनी पॉकेट मनी इकट्ठा कर जानवरों का इलाज कर रहे हैं.


अब तक सैकड़ों जानवरों का किया इलाज
एनिमल रेस्क्यू टीम कोटडी की नींव रखने वाले गौरव सुवालका कहते हैं कि इंसानों की मदद करने वाले बहुत हैं पर बेज़ुबानों की मदद को कोई आगे नहीं आता है. गौवंश राजनीति का विषय बन चुकी, जिस वजह से जगह-जगह गौशालाएं खोली जा रही हैं, लेकिन गौवंश के अलावा भी कई जानवर हैं, जिन्हें मदद की जरूरत होती है. अक्सर कुत्ते, बंदर, पक्षी हादसों में घायल हो जाते हैं, लेकिन उनके लिए कोई आगे नहीं आता है. किसी को तो पहल करनी होगी. इसी सोच ने इस समूह को जन्म दिया. 


उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले छोटे-छोटे से युवा साथी जो अपनी पढ़ाई के साथ एक टीम बनाकर एनिमल रेस्क्यू टीम के नाम से कार्य कर रहे हैं, जिसमें बेजुबान जानवरों की पूरी तरह से सेवा करने में लगे हैं जिसमें गाय-बैल और कुत्ते आदि जानवरों की सेवा कर रहे हैं, जिस उम्र में बच्चे जिंदगी के मजे ले रहे होते हैं. उस उम्र में छोटे बच्चों द्वारा इस प्रकार का कार्य देखकर बड़े लोग भी इनकी सफलता की कामना कर रहे हैं. एनिमल रेस्क्यू टीम की शुरुआत आज से लगभग डेढ़ वर्ष पहले 2 छात्र गौरव सुवालका जो कि कक्षा 12 साइंस का विद्यार्थी है और सुनील सेन जो कि कक्षा 10 का विद्यार्थी है दोनों ने मिलकर गौ-सेवा करने की ठानी और अपने जेब खर्च से दवाइयों का बंदोबस्त करते हैं और बीमार गोवंश की देखभाल करते हैं. 


साथ ही उनके इस कार्य को देखकर लोकेश शर्मा अभी लंदन में कार्य कर रहे हैं. प्रभावित हुए और उन्होंने इनको डोनेशन दे कर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. इस कड़ी में इनके साथ में अभिषेक शर्मा जो वेटरनरी का छात्र है और राहुल कानावत साथ में जुड़ गए और बीमार पशुओं की देखभाल करने लगे उन्होंने कोटडी के अलावा आस-पास के गांवों जैसे कि फतेहगढ़, झाडोल, मान सिंह जी का झोपड़ा, देवरिया, भगवानपूरा आदि गांवों में भी जब इनको कॉल आया वहां जाकर गोवंश का इलाज किया लम्पि महामारी में इस एनिमल रेस्क्यू टीम ने जितने भी लावारिस गोवंश थे उन सब का इलाज किया देवनारायण गोशाला के साथ मिलकर सभी गायों को फिटकरी और मिश्रण का छिड़काव एवं काढ़ा पिलाने का कार्य किया टीम आगे बढ़ते हुए इसमें सदस्य और बढ़ते गए हैं. 


बता दें कि उसमें नागेंद्र सिंह कानावत वेटरनरी कंपाउंडर, चंद्र प्रकाश सेन, शिवराज जो पशु चिकित्सक के रूप में सरकारी सेवा में कार्यरत हैं. उनका सहयोग करके इन्होंने इनका मनोबल बढ़ा रहे हैं. इनको सबसे बड़ी परेशानी का सामना यह रहा कि बीमार गोवंश जो दूर है. उनको पट्टी करने के लिए बार-बार जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा उसी से बचने के लिए इन्होंने कोटडी में ही एक सेंटर बनाने का विचार किया, जिसके अंदर गौरव सुवालका के परिवार से उनके माता मधुबाला सुवालका ओर पिता सुरेश कुमार सुवालका प्रभावित हुए और अपने खाली पड़े भूखंड पर सेंटर बनाने के लिए तैयार हुए, जिसमें इस टीम को मिलने वाले भामाशाह सहयोग और सभी साथियों ने अपने मिलने वाली जेब खर्च से पशु आश्रय स्थल बनाया और बीमार गोवंश को यहां पर लाकर उनका सुबह शाम दोनों समय इलाज करते हैं. 


साथ ही दिन में पढ़ाई और सुबह शाम बेजुबान जानवरों की सेवा करते हैं. सबसे बड़ी परेशानी का सामना हो गायों के लिए चारा पानी की व्यवस्था करना रहता है, जिसमें भामाशाह से आग्रह किया है कि आगे आये और सहयोग प्रदान करें. बीमार गोवंश को यहां लाकर उनकी सेवा करते हैं, जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाता स्वस्थ होने के बाद में वापस उसे छोड़ दिया जाता है, क्योंकि इन को लंबे समय तक रखने के लिए उनके पास में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. एनिमल रेस्क्यू टीम कोटडी में वर्तमान में जो टीम कार्य कर रही है. उसमें गौरव कुमार सुवालका, सुनील सेन, लकी खटीक, वासुदेव शर्मा, अर्पित सेन, तनिष्क सुथार, प्रिंस बंड़ेला, हार्दिक मूंदड़ा और वेटरनरी कंपाउंडर अभिषेक शर्मा, चंद्र प्रकाश सेन, शिवराज प्रमुख सदस्य हैं और लोकेश शर्मा जो कि बाहर रहते हुए भी इन को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान कर रहे हैं और मोटिवेट करते रहते हैं.


एक पहल ने खड़ा कर दिया कारवां
गौरव सुवालका ने बताया कि समूह के सभी सदस्यों ने मिलकर शुरुआत में जानवरों का घर पर इलाज शुरू किया. देखते ही देखते और भी कई लोग इस कार्य से प्रभावित और प्रेरित हुए. आलम यह है कि आज दो दर्जन से ज्यादा सदस्य हर रोज सेवा के लिए समय देते हैं. कोई रिक्शा चलता है तो कोई शिक्षक है, लेकिन यह सभी अपनी शिफ्ट के अनुसार आते हैं और सेवा करते हैं. समूह की एक सदस्य गौरव सुवालका कहते हैं वे पिछले डेढ़ साल से इस समूह को चला रहे हैं. यहीं जानवरों को ट्रीटमेंट देना सीखा है. उन्हें जानवरों से बेहद लगाव है इस वजह से वे यह सेवा कर रहे हैं. कुछ ऐसे ही विचार एक और सदस्य सुनिल सेन के भी हैं वे शुरू से ही इस समूह का हिस्सा हैं. उनका कहना है कि छात्र होने के बावजूद इस सेवा कार्य के लिए समय निकलते हैं.


अपने पैरों पर खड़े हैं कई बेजुबान
जानवरों की सेवा करना अब इस एनिमल रेस्क्यू टीम के सभी सदस्यों के जीवन का हिस्सा बन चुका है. कहीं भी किसी घायल जानवर की जानकारी मिलती है तो एनिमल रेस्क्यू टीम की निजी वाहन लेकर पहुंचते है और फैसिलिटी में लाकर उसे इलाज और प्यार दोनों दिया जाता है, जिसका नतीजा है कि अब तक कई बेजुबान जानवर दोबारा अपने पैरों पर खड़े हैं और एनिमल रेस्क्यू टीम के हर सदस्य को अपना प्यार देते हैं.


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