Bhilwara news: बेखबर वन विभाग के अधिकारी, सड़क किनारे चल रही पेड़ों पर कुल्हाड़ी
भीलवाड़ा में सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हरे पेड़ लगाने पर जोर दे रही है. सड़क के किनारे लगे वृक्ष एवं पेड़ पौधों की काटने पर रोक होने के बावजूद भी नेशनल हाईवे 148D जालमपुरा चौराहे के समीप बड़े बड़े पेड़ो को काट दिया गया.
Bhilwara news: जहाजपुर वर्तमान समय में जो पर्यावरण की स्थिति है उसके आधार पर अधिक से अधिक पेड़ लगाना अति आवश्यक है. सरकार इसके लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हरे पेड़ लगाने पर जोर दे रही है. सड़क के किनारे लगे वृक्ष एवं पेड़ पौधों की काटने पर रोक होने के बावजूद भी नेशनल हाईवे 148D जालमपुरा चौराहे के समीप आज बड़े बड़े पेड़ो को काट दिया गया. जिसकी भनक वन, नेशनल हाईवे अथॉरिटी, सार्वजनिक निर्माण विभाग को नहीं लग पाई. काटे गए पेड़ों के संरक्षण के लिए वन विभाग के ट्री गार्ड लगे हैं.
अनुमति के बिना पेड़ को कटाना अपराध
एक तरफ सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण को ले वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है. वहीं दूसरी बेवजह पेड़ काटने वालों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई करने को जिम्मेदार तैयार नहीं है. आपकों बता दें कि सरकार की अनुमति के बिना पेड़ को कटाना अपराध है. भारतीय वन कानून 1927 के अनुसार सेक्शन 68 के अंतर्गत पर्यावरण कोर्ट में मामला दर्ज हो सकता है. इसमें पेड़ों की चोरी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचने और प्रदूषण एक्ट के तहत मामला दर्ज हो सकता है.
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सार्वजनिक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता कुंवर सिंह गुर्जर ने कहा कि नेशनल हाईवे पर लगे पेड़ पौधे हमारे अंतर्गत नहीं आते. नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारी अखिलेश सिंह ने कहा कि पेड़ काटने की सूचना मिलते ही मैं मौके पर गया हूं, जो पेड़ काटे गए वह वन विभाग के अधीन है इस पर वही कार्रवाई करेंगे हमने इन पेड़ों को काटने के लिए किसी को अनुमति नहीं दी तो वहीं वन विभाग के रेंजर चोखाराम जाट ने कहा कि मौके पर मैंने टीम को भेजा है यह पेड़ हमारे द्वारा लगाए गए हैं हमने इनको इतने दिन पाला है हमने भी किसी को पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी पेड़ काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
सड़क के किनारे क्यों लगाते है पेड़
सड़कों पर गाड़ियां चलती हैं जिनके साइलेंसर से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड से वायु प्रदूषित होती है प्रदूषण को रोकने के लिए सड़कों के किनारे हरे भरे यह पेड़ लगाए जाते हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड को यहीं अवशोषित कर लेते हैं और लगातार ऑक्सीजन छोड़ते रहते हैं इससे प्रदूषण में भी कमी आती है.