Diwali 2024: दीपावली के पर्व पर मेवाड़ के प्रसिद्ध शाहपुरा जिले के कोटड़ी कस्बे में स्थित भगवान चारभुजा नाथ मंदिर परिसर में सवा 5 फीट ऊंचा मिट्टी का दीपक लगाया गया. इस दीपक को धनतेरस के दिन शाम को प्रज्ज्वलित करने के बाद ही दीपावली का आगाज होता है. चारभुजा मंदिर में प्रज्ज्वलित होगा. सवा 5 फीट ऊंचा मिट्टी का दीपक में 15 दिनों तक निरंतर लौ जलेगी. 


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दीपावली के पर्व पर मेवाड़ के प्रसिद्ध जिले के कोटड़ी कस्बे में स्थित भगवान चारभुजा नाथ मंदिर परिसर में सवा 5 फीट ऊंचा मिट्टी का दीपक लगाया गया. इस दीपक को धनतेरस के दिन शाम को प्रज्ज्वलित करने के बाद ही दीपावली का आगाज होता है.



देश-प्रदेश में दीपोत्‍सव के पर्व पर विभिन्‍न तरह की सजावट की जाती है. शाहपुरा जिले के कोटड़ी कस्‍बे में धनतेरस पर भगवान चारभुजा नाथ मन्दिर में एक विशाल दीपक को प्रज्ज्वलित किया जाता है. भक्त श्यामलाल पारीक ने बताया श्री चारभुजा युवा शक्ति संगठन के तत्वावधान में धनतेरस पर संध्या आरती के बाद कस्बे वासियों की मौजूदगी में संत महंत दीपक को प्रज्ज्वलित कर पांच दिवसीय दीपोत्सव का शुभारंभ करेंगे.



दीपक निर्माण में एक ट्राली पीली मिट्टी, 1 टन गाय का गोबर व 1500 ईंटो का उपयोग किया गया है. दीपक 10 फीट चौड़ा व सवा 5 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है. 31 लीटर तेल की क्षमता वाला यह दीपक देवउठनी एकादशी तक मंदिर परिसर में अखंड जलेगा. इस दीपक में कस्बेवासी तेल डालेंगे. 



इस दीपक को मंगलवार को धनतेरस के दिन संध्‍या आरती के साथ ही प्रज्ज्वलित किया जाएगा. इस दीपक को वर्ष 2018 में अयोध्‍या में हुए दिपोत्‍सव से प्ररेणा लेकर बनाया जाता है. हर वर्ष दीपावली से पहले इस दीपक का निर्माण करवाया जाता है, ग्रामीण घी लाकर इसमें डालते हैं, 15 दिनों तक यह दीपक जलता रहता है. इस दौरान हजारों की तादाद में श्रद्धालु आकर इसकी परिक्रमा करते हैं. ऐसी मान्‍यता है कि दीपक की लौ की परिक्रमा करने से हर पीड़ा दूर हो जाती है. 



मेवाड़ में प्रसिद्ध है कोटड़ी चारभुजा मंदिर
मेवाड़ के प्रसिद्ध धामों में शाहपुरा जिले के कोटड़ी कस्बे में स्थित भगवान श्री चारभुजा नाथ का सबसे पौराणिक मंदिर है, यहां लोगों की आस्था इतनी है कि प्रतिवर्ष जलझूलनी एकादशी को लगने वाले मेले में लाखों की संख्या में देश और प्रदेश से भक्तजन पहुंचते हैं. अयोध्या में हुए दीपोत्सव के बाद हुई थी शुरुआत वर्ष 2018 में राम जन्मभूमि अयोध्या में विशेष दीपोत्सव का आयोजन हुआ था. इसी प्रकार यहां भी मंदिर परिसर में सबसे बड़ा मिट्टी का दीपक बनाकर उसे प्रज्ज्वलित किया जाता है. इसके साथ ही दीपावली के त्यौहार का आगाज होता है.