Bhilwara : राजस्थान के भीलवाड़ा के शाहपुरा पंचायत समिति क्षेत्र की गिरडिया ग्राम पंचायत में ग्राम विकास अधिकारी और गांवों के दबंगों की मिलीभगत से मनरेगा समेत अन्य योजनाओं के निर्माण कार्यो में जमकर लूट खसोट की जा रही है. मनरेगा मजदूरों से 300 रुपए लेकर जेसीबी मशीन से कार्य करवाया जा रहा है और फिर भी सरपंच सचिव अनजान बने हुए है.
मामले को लेकर जब जांच पड़ताल की गयी तो एक अलग कहानी सामने आयी.


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नाम की सरपंच
गिरडिया ग्राम पंचायत की सरपंच सीमा देवी महज नाम की सरपंच हैं. हालात ऐसी है कि वो जीतने के बाद, एक बार पंचायत भवन में शपथ लेने गई, उसके बाद रोजी रोटी की तलाश में दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है.  सरपंच के घर की हालात ऐसी है कि न तो छत पूरी है और न ही खाने पीने का इंतजाम. ऐसे में महिला सरपंच और उसके पति के सामने तीन बच्चों का पेट भरने के भी लाले पड़े हुए है.


जब मीडियाकर्मी मनरेगा में चल रही जेसीबी मशीन के बारे में जानकारी लेने, सरपंच के घर पहुंचे, तो उनके भी होश उड़ गए. सरपंच सीमा देवी भील, अपनी सास धन्नी देवी के साथ देवर के मकान में बैठी मिली ,सीमा देवी से जब मनरेगा में जेसीबी से काम करने की जानकारी मांगी गयी तो वो पूरे मामले से ही अनभिज्ञ थी.


सरपंच सीमा देवी ने बताया कि वो तो चुनाव जीतने के बाद पंचायत में ही एक बार गई है. सीमा ने बतातया की गांव के दो दबंग पंचायत का काम देख रहे हैं वही सभी कामों के लिये मुहर और साइन भी करते हैं.  सीमा ने बताया की परिवार को पालने के लिए उन्हे दूसरे गांव में जाकर मजदूरी करनी पड़ती है. 


अभी लौटे हैं महाराष्ट्र से सरपंच और सरपंच पति
सरपंच सीमा देवी ने बताया कि वो और उनके पति प्रकाश भील पिछले साल नवरात्र के बाद महाराष्ट्र कुएं खोदने के काम के लिये गये थे. अभी लौटे हैं इस बीच यहां क्या हुआ उनकों नहीं मालूम. सरपंच के पास ना तो खुद का मकान है. जैसे तैसे सिर ढकने के लिए कच्चा घर बनाया हुआ है. सीमा देवी के 3 बच्चे है और वो अभी गर्भवती हैं. बाहर मजदूरी के लिये पूछा गया तो सरपंच रोने लगी और बताया कि उन्होने कलेक्टर से भी मदद की गुहार लगायी है.


सास ने रोते हुए बताया पंचायत वासियों की मदद करना तो दूर ,खुद की मदद नहीं कर पा रही सीमा
ग्राम पंचायत के लोगों ने बहुमत देकर सीमा देवी को सरपंच बनाया, लेकिन सीमा देवी ग्रामीणों की तो छोड़ो, खुद की कोई मदद नहीं कर पा रही है. सीमा की सास धनी देवी ने बताया कि गांव के लोग पंचायत क्षेत्र के लोग घर पर आते हैं और अपनी अपनी पीड़ा सुनाते हैं. लेकिन दबंगों ने मोहर और अन्य अधिकार छीन रखे है. तो काम कैसे करें. लोगो के तानों से आहत होकर वो घर से दूर रहने को मजबूर है.


दबंगों ने बांट रखे है गांव ,उनकी मर्जी के बिना नहीं होता कोई काम
ग्रामीणों ने बताया कि गिरडिया ग्राम पंचायत में मुख्यालय समेक चार गांव आते है. दोनों दबंगो ने आपस में दो-दो गांव बांट रखे है. मनरेगा से लेकर अन्य कोई भी काम हो दोनों की मर्जी के बगैर नहीं हो सकते है. मनरेगा योजना के मस्टरोल में नाम जुड़वाने के लिए प्रत्येक मजदूर को 300 रुपये देने होते है. जिससे जेसीबी मशीन मंगवाकर काम करवाया जाता है. मनरेगा साइड पर ना तो मजदूर मिले और ना ही मेट.


2 साल पहले भी सरपंच ने वीडियो जारी करके मदद की लगाई थी गुहार
सीमा देवी भील सरपंच चुने जाने के बाद से ही लगातार परेशानियों का सामना कर रही है, 2020 में भी सीमा ने वीडियो जारी करके दबंगो से परेशान होकर मदद की गुहार लगाई थी और लापता हो गई थी. जिसने बाद में पुलिस के समक्ष पेश होकर बयान दिए थे ,दो प्रभावशाली गुटों के बीच फंसी सरपंच की हालात यहां बेहद खराब है. लेकिन प्रशासन इन दबंगों पर कोई एक्शन नहीं ले रहा है.


रिपोर्टर- दिलशाद खान


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