Rajesh Pilot: आज राजेश पायलट की 23 वीं पुण्यतिथि, राजस्थान में यहां मूर्ति उपेक्षा का शिकार,कांग्रेसियों ने बनाई दूरी
Rajesh Pilot 23th death anniversary: आज राजेश पायलट की 23 वीं पुण्यतिथि है. भीलवाड़ा में संगठन की फूट कहे या अनदेखी ज़िले भर में एक मात्र स्थापित स्वर्गीय पायलट की मूर्ति ना सिर्फ़ अनदेखी बल्कि दुर्दशा की भी शिकार हो रही है. कांग्रेसी कार्यकर्ता भी इससे दूरियां बना रहे हैं.
Rajesh Pilot 23th death anniversary: पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के पिता और राजस्थान की राजनीति के क़द्दावर नेता रहे स्वर्गीय राजेश पायलट की आज 23 वीं पुण्यतिथि है, प्रदेश भर में कांग्रेस द्वारा पुण्यथिति पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है,लेकिन भीलवाड़ा में संगठन की फूट कहे या अनदेखी ज़िले भर में एक मात्र स्थापित स्वर्गीय पायलट की मूर्ति ना सिर्फ़ अनदेखी बल्कि दुर्दशा की भी शिकार हो रही है, हालात यह हैं कि पुण्यथिति के दिन भी स्थानीय कांग्रेसी नेता इस और ध्यान नहीं दे पाए.
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की ज़िले में एक मात्र शहर के ट्रास्पोर्ट नगर इलाक़े में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओ की मौजूदगी में 10 फ़रवरी 2009 को मूर्ति का अनवरण किया गया था.
ट्रासपोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा स्थापित इस मूर्ति की देखरेख का जिम्मा भीलवाड़ा यूआईटी का है,लेकिन कांग्रेस नेताओ की अनदेखी और यूआईटी की लापरवाही का आलम यह है की आज पुण्यतिथि के दिन भी यहाँ शराब की बोतलों का ढेर लगा है। ना ही मूर्ति का रंगरोगन किया गया ना ही कंटीली झाड़ियो को काटा गया है.
ट्रास्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विश्वबंधु सिंह का कहना है कि आज पूरे प्रदेश में स्वर्गीय पायलट की पुण्यथिति को लेकर आयोजन किए जा रहे हैं, सचिन पायलट दौसा में श्रद्धांजलि सभा और प्रतिमा अनावरण करेंगे. लेकिन भीलवाड़ा में जो पायलेट की मूर्ति लगाई उसकी देखरेख करने वाला एक भी कांग्रेसी नेता मौजूद नहीं है,
पायलट और गहलोत के बीच की खिचतान के चलते भीलवाड़ा के कांग्रेसी नेता शायद यह निश्चित ही नहीं कर पा रहे है कि वो किस नेता की टीम का हिस्सा हैं,लेकिन दोनों नेताओं की खिचतान में किसान नेता स्वर्गीय राजेश पायलेट की अनदेखी शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है.
पायलट का कांग्रेस में योगदान
गौरतलब है कि राजेश पायलट पार्टी के उन दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं,जिन्होंने हमेशा कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की वकालत की और इसके लिए संघर्ष भी किया, लेकिन पार्टी का साथ नहीं छोड़ा. बताया जाता है कि राजेश पायलट को संजय गांधी राजनीति में लाए थे. उन्होंने पहला 1980 में राजस्थान के भरतपुर से लड़ा था और इसके बाद 1984 में दौसा संसदीय क्षेत्र को कार्यक्षेत्र बनाया. 1989 को छोड़कर वह 1999 तक लगातार यहां से सांसद रहे.
1993 में कांग्रेस के त्रिकुटी महा अधिवेशन में कार्यसमिति के लिए चुने जाने वाले दस सदस्यों में संगठन ने उनका नाम नहीं दिया था. इस पर उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी और प्रधानमंत्री नरसिंह राव की ओर से प्रस्तावित प्रत्याशी को चुनाव हराकर जीत हासिल की थी.
राजेश्वर से राजेश बने पायलट
उनका असली नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी था, लेकिन उन्हें नया नाम संजय गांधी ने दिया था, नाम था राजेश पायलट.जो बाद में देश के नामी राजनेताओं में शुमार हुआ, राजेश्वर बिधूड़ी यानी राजेश पायलेट भारतीय वायुसेना में पायलट थे. संजय गांधी ने ही उन्हें राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़ने भेजा था. भरतपुर से नामांकन दाखिल करने के कुछ ही घंटे पहले ही राजेश्वर बिधूड़ी ने नोटरी में जाकर अपना नाम बदलवाया था. फिर यही पायलट नाम, उनकी, उनके परिवार की पहचान बन गया और आज भी है.
ये भी पढ़ें- RBI RECRUITMENT 2023: आरबीआई में आई बंपर भर्ती, सैलरी देख आपका भी मन हो जाएगा खुश, 15 जुलाई को होंगे एग्जाम