Bikaner News: एक तरफ पर्यवारण बचाने को लेकर पूरे विश्व में करोड़ो रुपये खर्च कर योजना व अभियान बनाए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ बज्जू क्षेत्र में दिन-रात जंगल से लेकर खेत साफ हो रहे हैं. सबसे मजेदार बात ये है कि वन अधिकारियों की मिलीभगत से कार्य चल रहा है. 


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बज्जू क्षेत्र में दर्जनों जगहों पर वन विभाग की चौकियां बनी हुई हैं और लगभग सभी में उच्च अधिकारी भी तैनात हैं. मगर विभाग अपने स्तर पर कभी भी कोई कार्रवाई नहीं करता है, जिसके चलते वन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और रोज पूरे क्षेत्र में पेड़ों को साफ किया जा रहा है. वन विभाग की उदासीनता की वजह से कभी वन कटाई वाले माफियों पर कार्रवाई नहीं होती है.



जिसके चलते क्षेत्र में विभाग के बजाय पर्यावरण प्रेमी ज्यादा सजग रहते हैं. सजगता के कारण ही वन माफियाओं पर कार्रवाई होती है. वन विभाग हमेशा ही संसाधनों की कमी बताते हुए का रोना रोते हैं. मगर पर्यावरण प्रेमी जब कार्रवाई शुरू करता है. तब विभाग तुरंत संसाधनों से मौके पर पहुंच जाता है.



पेड़ काटने के बाद किसी को शक ना हो इनके पास विशेष प्रकार की मशीनें होती हैं, जिसमें आरा मशीन, कट्टर आदि जो तुरंत पेड़ को काटते ही कचरे में बदलने का काम शुरू कर देती है. एक तरफ पेड़ों का कटाई, तो दूसरी तरफ मशीनों से पेड़ों के पत्तों से लेकर लकड़ियों को कचरे के रूप कुतर बना देते हैं. एक ही खेत में एक दम दिन में 20 से 30 पेड़ को साफ करके कचरा बना देते हैं, जिन्हें बाद में एक जगह जमा करवा देते हैं, जिन्हें लाने ले जाने का काम माफिया ही करते हैं.



खेतों व सरकारी जमीनों से पेड़ों का कचरा एक जगह एकत्रित करने के बाद जिप्सम से लेकर अन्य फैक्ट्रियों में महंगे दामों में कचरा बेच रहे हैं. जानकारी के अनुसार खेतों में निःशुल्क पेड़ काटकर कचरा बना देते हैं, जो बाद में बेच देते हैं, जिससे लोगों को नजर भी नहीं आती कि ये पेड़ कटाई का कचरा है. जानकारी के अनुसार 300 से 400 रुपये क्विंटल के हिसाब से कचरा फैक्ट्री पर बेचा जाता है, जो पंजाब तक भी जाता है, जो बाद में आग जलाने के रूप में काम आता है.