Bikaner News: राजस्थान के बीकानेर जिले में बज्जू क्षेत्र के वन्य जीव प्राणियों को लेकर वन विभाग कितना गंभीर है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बज्जू के आरडी 931 में चल रहे रेस्क्यू सेंटर पर देखा जा सकता है. एक दशक पूर्व 931 में सरकार द्वारा रेस्क्यू सेंटर खोला गया, परंतु व्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहां इन बेजुबान वन्यजीवों का इलाज करने के लिए न तो कोई चिकित्साकर्मी है और न ही डॉक्टर और न ही एंबुलेंस व दवा बस नाम का ही रेस्क्यू सेंटर है. 


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मजेदार बात यह है कि इस रेस्क्यू सेंटर पर घायल हुए जीवों को जीवन मिलना ना के बराबर है. कहने को तो वन विभाग के कार्मिकों को क्षेत्र में होने वाले इन बेजुबान वन्यजीवों की रक्षा का दायित्व सौंपा गया है, परंतु क्षेत्र में लगातार हो रहे आवारा हिंसक पशुओं व दुर्घटना से घायल हुए वन्यजीवों को लाने के लिए वन्य कर्मियों के पास एंबुलेंस तक रेस्क्यू सेंटर पर उपलब्ध नहीं है.


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जेलनुमा कमरे में रेस्क्यू सेंटर


क्षेत्रीय वन अधिकारी इकाई 6 आरडी 931 उपवन सरंक्षक स्टेज 2 बीकानेर द्वारा रेस्क्यू सेंटर के नाम पर मात्र जेलनुमा एक कमरा बना हुआ है. छोटे कमरे में भी लोहे की जालियां लगी हुई हैं, जिनमें कई बार हिरण के सींग इसमें फंस जाते हैं और टूट जाते हैं. वन्य जीवों को जहां खुला क्षेत्र पसंद है वहीं रेस्क्यू सेंटर कमरे में और वो भी बहुत छोटा जहां आए दिन जीव दम तोड़ रहे हैं.


ना दवा ना चिकित्सा


वर्षों से रेस्क्यू सेंटर कमरे में चल रहा है. जब भी वन्यजीव घायल होते हैं, तो एंबुलेंस नहीं होने पर घायल जीवों को अपने स्तर पर रेस्क्यू सेंटर पर लाया जाता है. सेंटर पर सामान्य प्रकार की दवा ही उपलब्ध है. विभाग के कर्मचारी व जीव प्रेमी ही कई बार दवाओं को रेस्क्यू सेंटर पर लाते हैं. मगर चिकित्सा का अभाव होने से दवा काम नहीं आती. जिसके बाद जीव प्रेमी बज्जू तक गाड़ी में जीवों को ले जाकर प्राथमिक इलाज करवाते हैं. 


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आरएसएस संचालन कर रहा है एंबुलेंस


दर्जनों बार प्रदर्शन व अधिकारियों को अवगत करवाने व क्षेत्र में वन्यजीवों के घायलो की संख्या बढ़ने पर विभाग द्वारा एंबुलेंस नहीं दी गई, जिसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा घायल जीवों को लाने के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है. जो क्षेत्र से घायल जीवों को आरडी 931 तक पहुंचा रही है. जिसके बाद वन विभाग घायल जीवों को अपने स्तर पर आगामी दिनों में बीकानेर पहुंचाते हैं.