Khajuwala: स्कूलों में टीचर्स के पद खाली, तो कैसे मिलेंगे छात्रों के सपनों को पंख?
कोलायत, खाजूवाला, नोखा सहित शायद ऐसा कोई उपखंड़ हो जिस गांवो मे छात्र स्कूलों में तालाबंदी न कर रहे हो. सभी स्थानों के छात्रों की शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन से एक ही मांग है कि रिक्त पदों की भर्तियों को जल्द से जल्द भरा जाएं.
Khajuvala: बिकानेर जिले में ग्रामीण स्कूलो के हालात काफी दयनीय स्थिति में हो रहे है. स्कूली छात्र अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपने भविष्य को संवारने की मांगों को लेकर सरकार को चेता रहे हैं. उनकी जुबान पर अ से अनार आ से आम और मेरा भारत महान होने की बजाए हाय हाय के नारे लगा रहा है. शिक्षा के मंदिर को ताला लगा सड़कों पर बैठे प्रदर्शन कर रहे हैं.
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ताजा हालात कोलायत, खाजूवाला, नोखा सहित शायद ऐसा कोई उपखंड़ हो जिस गांवो मे छात्र स्कूलों में तालाबंदी न कर रहे हो. सभी स्थानों के छात्रों की शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन से एक ही मांग है कि रिक्त पदों की भर्तियों को जल्द से जल्द भरा जाएं.
बता दें कि बहुत से ऐसे विद्यालय है जहां पंद्रह से बीस पद है लेकिन उन पदों पर स्थापित तीन से चार जिसमे एक सरकारी कार्यों में बिजी रहता है। तो वहीं दूसरा मिड डे मील जैसी व्यवस्था में रहते है. इससे आप अंदाजा लगा सकते है की पांच सौ या उससे अधिक नामांकन वाले विद्यालय के छात्रों की पढ़ाई का हश्र क्या होगा.
गौरतलब है कि, बिकानेर के खाजूवाला उपखण्ड क्षेत्र में दो ब्लॉक है खाजूवाला और पूगल. इन दोनों ब्लॉक में 384 विधालय है जिसमें 39652 विद्यार्थियों का नामांकन है. अध्यापकों के लिए 2191 पद स्वीकृत है लेकिन वर्तमान में इन यहां 1294 पदों पर ही अध्यापक कार्यरत है. जिसके चलते शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो रही है.
स्कूलों में अध्यापकों की कमी लगातार ग्रामीणों के जरिए विरोध प्रदर्शन कर ताला बंदी को लेकर स्थानीय विधायक और आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल का कहना है कि, कहते हैं कि अध्यापकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इसको लेकर शिक्षा मंत्री डॉ बीडी कल्ला और मुख्यमंत्री से वार्ता कर जल्द इसका समाधान करवाया जाएगा जिससे बच्चों की पढ़ाई नियमित रूप से जारी रहे.
वहीं इस मुद्दे पर सरपंच प्रतिनिधि जय सिंह भाटी का कहना है कि परिजन और छात्र कहते है कि स्कूल में अध्यापकों की कमी है. जो पद स्थापित है वो लंबे समय से शहरी क्षेत्रों में डेपुटेशन पर लगे हुए है जिससे गांवो की शिक्षण व्यवस्था बिगड़ रही है.
अपने शिक्षा के हक को पाने के लिए वह कभी पानी की टंकी पर चढ़कर, सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे लेकिन उन्हें प्रशासन से इसका कोई उचित जवाब नहीं मिल रहा है. देश का आने वाला भविष्य पढ़ाई को छोड़ अगर इसी तरह प्रदर्शन करता रहा तो देश का भविष्य कैसा होगा ये अपने आप में एक प्रश्न है. जरूरत है सरकार इन छात्रों की सुने ओर अध्यापकों के रिक्त पद जल्द भरे.
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