Churu: महिलाओं के लिए रोजगार बढ़ाने की बात समय-समय पर होती रहती है. सरकारों द्वारा इस दिशा में काम भी किया जाता है. कुटीर उद्योगों के माध्यम से महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिलाने की कोशिश केंद्र और राज्य की सरकारे करती है. सरदारशहर (Sardarshahr News) में एक ऐसा कुटीर उद्योग है, जो दशकों से महिलाओं को ना सिर्फ रोजगार दे रहा है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है. साथ ही इस कुटीर उद्योग के माध्यम से सरदारशहर ने अपनी देश भर में एक अलग पहचान बनाई है. सरदारशहर के पापड़ उद्योग की बात करें तो यहां पर 70 के करीब छोटी-बड़ी पापड़ की दुकाने मिली हैं, जिनसे 10 हजार के करीब महिलाएं रोजगार प्राप्त करती है और पापड़ उद्योग के माध्यम से यह महिलाएं ना सिर्फ अपना बल्कि अपने परिवारो को भी चला रही है. सरदारशहर का पापड़ ना सिर्फ प्रदेश में बल्कि देश में अपने स्वाद के लिए एक अलग पहचान रखता है. 


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देश के अन्य राज्य में भी है सरदरशहर के पापड़ की मांग
सरदारशहर के पापड़ मारवाड़ी लोगों के बीच में बहुत ही लोकप्रिय हैं. कहते है कि सूरज की किरणे जिस प्रकार हर जगह पहुंचती है वैसे ही मारवाड़ी लोग देश के कोने-कोने में मौजूद हैं. इसी का नतीजा है कि आज सरदारशहर के पापड़ की मांग देश के कोने-कोने में हैं. सरदारशहर के पापड़ को लोग बड़े ही चाव के साथ खाते हैं. देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में रहने वाले लोग जब भी सरदारशहर आते है, पापड़ जरूर ले जाते है या फिर कोरियर से मंगवाते है. शादी-विवाह, पार्टियों और घरों में खाने पर नाश्ते के साथ पापड़ का भरपूर उपयोग किया जाता है और पापड़ की सब्जी भी बनाई जाती है. 


महिलाओं के दम पर चलता है पापड़ उद्योग
पापड़ उद्योग की मुख्य रीड की हड्डी महिलाएं है. महिलाओं के दम पर यह पापड़ उद्योग आज तेजी से फल-फूल रहा है. पापड़ की मिलों में पुरूषों के अलावा 10 हजार के करीब महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है. आज के आधुनिक दौर में जहां पर सबका मशीनों से पूरा कर लिया जाता है. वहीं, महिलाओं के हाथ से पापड़ बेलने से पापड़ की गुणवत्ता और स्वाद और बढ़ जाती है, जिसके चलते सरदारशहर का पापड़ देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी मांग रखता है. 


ऐसे बनते हैं पापड़
मुख्य रूप से मूंग, मोठ के विभिन्न प्रकार की पापड़ तैयार किए जाते है, जिसमें कम और तेज मसाले के पापड़ तैयार किए जाते है. मिलन पापड़ मिल के संचालक ने बताया कि पापड़ तैयार करने के लिए सुबह 4 बजे उठते है. पहले मसाले के साथ मूंग और मोठ का आटा, साजी के पानी से गुंदा जाता है. इस दौरान इसमें हींग भी मिलाई जाती है. फिर मशीनों के माध्यम से लोइया तैयार कर महिलाओं को लोइया वितरित किया जाता है. महिलाएं अपने घरों में पापड़ तैयार कर शाम को वापिस जमा करवा देती है. इससे एक महिला को दिन में 300 से लेकर 500 रुपये की तक आमदनी होती है. महिलाओं द्वारा अपने हाथों से पापड़ को बेला जाता है इसलिए इस पापड़ का स्वाद और बढ़ जाता है. 


सरदारशर व्यापार एवं उद्योग संघ के मंत्री अशोक हरचंदानी (Ashok Harchandani) ने बताया कि सरदारशहर के पापड़ की देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा इटली, दुबई सहित कई अन्य देशों  में भी सप्लाई की जाती है. सरकार ने बहुत पहले ही पापड़ उद्योग को टैक्स मुक्त कर दिया था लेकिन इससे जुड़ी सामग्रियों पर टैक्स लगा हुआ है. इसके चलते मिल मालिकों को आर्थिक रूप से नुकसान होता है. विशेष रूप से पापड़ बनाने में इस्तेमाल होने वाली साजी पर 18 प्रतिशत टैक्स है.  साथ हीं,  इतना ही टेक्स हींग पर भी है. पापड़ बनाने की अन्य सामग्री पर भी टैक्स होने से पापड़ बनाने में और खर्चा बढ़ जाता है.


यदि पापड़ बनाने की  सामग्री को भी टैक्स मुक्त कर दिया जाए तो इस उद्योग को और बढ़ावा मिल सकता है और महिलाओं की आय भी दोगुनी तक हो सकती है. सरदारशहर के पापड़ की विदेशों में भी बहुत मांग रहती है लेकिन विदेशो में भेजने के लिए कोई अच्छा व्यवस्था नहीं होने के चलते भी इस उद्योग को बढ़ावा नहीं मिला है. यदि यहां से निर्यात की भी अच्छी व्यवस्था हो जाए तो यह पापड़ उद्योग और बढ़ सकता है.


पापड़ उद्योग संघ के पूर्व अध्यक्ष ताराचंद सैनी ने बताया कि पूर्व मंत्री चंदनमल बैद ने पापड़ को टैक्स मुक्त किया था लेकिन पापड़ बनाने में उपयोग में ली जाने वाली सामग्रियों पर भारी टैक्स होने के चलते मिल मालिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि सरकार का रुझान भी इस उद्योग की ओर कम होने की वजह से पापड़ बेलने वाली महिलाओं को भी पर्याप्त मेहनत राशि नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते महिलाओं का रुझान भी अब पापड़ उद्योग की ओर से कम होने लगा है. 


पापड़ बनाने में इस्तेमाल होने वाली कुछ सामग्री आती है विदेशों से
मिल मालिकों ने बताया कि पापड़ में इस्तेमाल होने वाली कुछ सामग्री विदेशों से भी आती है, जैसे पापड़ बनाने में साजी के पानी का इस्तेमाल होता हैं. साजी को पाकिस्तान से मंगवाया जाता है और हींग को अफगानिस्तान सहित कई अन्य देशों से मंगवाया जाता है. 


पापड़ बनाने के लिए शुद्ध मूंग दाल, मोठ दाल, उड़द दाल, हींग, साजी, नमक, काली मिर्च और तेल इन सब का मिश्रण कर पापड़ बनाने की सामग्री को तैयार किया जाता है. पापड़ कई प्रकार के और कई आकार के बनाए जाते हैं. साथ ही अलग-अलग स्वाद और अलग अलग साइज की यह पापड़ अपने आप में अलग पहचान रखते हैं. 


सरकार यदि इस कुटीर उद्योग की और ध्यान दें तो निश्चित ही महिलाओं से जुड़ा हुआ यह उद्योग और आगे बढ़ सकता है. वहीं, महिलाओं को और ज्यादा आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है इसलिए सरकार को पापड़ उद्योग की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि यह उद्योग और फल-फूल सके.