Rajasthan News: संयुक्त राष्ट्र द्वारा भूमि संरक्षण के सर्वोच्च सम्मान “लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड” से सम्मानित पर्यावरणविद प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी ने अपने मोबाइल में कैद की है उस दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली को जो देश में महज अब कुछ ही संख्या में बची है. हम बात कर रहे हैं “कैराकल” कैट की. लंबे समय बाद कैराकल कैट को बीकानेर के रेगिस्तान में देखा गया है.  


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भारत में करीब 50 कैराकल ही बची 
बता दें कि भारतीय वन्य जीव संस्थान के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में करीब 50 के आस पास Caracal बची है. 1952 में चीतों के लुप्त होने के बाद यह दूसरी बिल्ली है जो भारत में विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी है. IUCN ने इसे Red list में शामिल कर रखा है और भारत के संदर्भ में seriously endangered श्रेणी में शामिल किया है. CITES ने इसे appendix -1 में शामिल किया है और Indian Wildlife (protection) Act 1972 के तहत यह Schedule-1 का वन्य जीव है. 


इससे आप अंदाजा लगा सकते है कि इस बिल्ली का दिखाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है. अब वन विभाग की टीमें भी इस बात की तलाश में जुट गई है कि इस इलाके में ये इकलौती बिल्ली है या इसके अलावा भी इस प्रजाति की बिल्लियां मौजूद है. हालांकि, इस इलाके में ये बिल्ली दिल्ली गई है वहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा भूमि संरक्षण के सर्वोच्च सम्मान “लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड” से सम्मानित पर्यावरणविद्ध प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी की अगुवाई में जसनाथी समुदाय द्वारा डाबला तालाब क्षेत्र में जारी habitat restoration के प्रयासों के फलस्वरूप डाबला तालाब क्षेत्र में कैराकल की मौजूदगी दर्ज की गई है, जिसे लेकर तेलंगाना के PCCF & मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक मोहन परजाई, भारत के पूर्व पर्यावरण मंत्री और पर्यावरण संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश, केंद्रीय शिक्षा मंत्री जयंत चौधरी और UNCCD ने tweet किए हैं तथा ज्याणी और जसनाथी समुदाय को बधाई दी है. प्रोफेसर ज्याणी के अनुसार, पारिवारिक वानिकी मुहिम के लिए यह अविश्वसनीय उपलब्धि का पल है. 


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