Bikaner News: शिक्षा को लेकर बीकानेर में नई क्रांति देखने को मिल रही है, जहां जिला कलेक्टर की सोच ओर नवाचार ने शिक्षा की दशा ओर दिशा दोनो के माध्यम को न केवल बदला है, बल्कि एक शिक्षा में एक इतिहास कयाम कर दिया है. सरकारी स्कूलों में जहां शिक्षक नहीं वहां अब डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करवाई जा रही है. अब सब पढ़े सब बढ़े को आगे बढ़ाने वाले इस नवाचार ने शिक्षा में नई क्रांति ला दी है और इसके परिणाम भी बेहतर आ रहे हैं. 


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बता दें कि अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं के दौर में जिले के 600 सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों के लिए जिला प्रशासन का डिजिटल इनीशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन कार्यक्रम (डिआईक्यूई) बेहद फायदेमंद साबित हुआ है. नवंबर के 20 कार्य दिवसों में इन शिक्षण संस्थाओं में स्मार्ट टीवी से 29 हजार 600 घंटे अध्ययन करवाया गया. वहीं दिसंबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा से पूर्व के सात कार्य दिवसों में इन संस्थाओं में 12 हजार 700 घंटे से अधिक समय तक डिजिटल माध्यम से पढ़ाई करवाई. कुल मिलाकर इन 600 स्कूलों ने अब तक 42 हजार 300 घंटों से अधिक समय तक डिजिटल तकनीक से पढ़ाई करवाकर विद्यार्थियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा है. मतलब प्रत्येक स्कूल ने इन 27 दिनों में औसतन 70 घंटे डिजिटल माध्यम से अध्ययन करवाया है.


राज्य सरकार के स्टेट इनीशिएशन फॉर क्वालिटी एजुकेशन की तर्ज पर जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल द्वारा योजनागत तरीके से पूरे अभियान को धरातल पर उतारा गया. सर्वप्रथम जिला कलेक्टर द्वारा आकलन करवाया गया कि जिले के कितने स्कूल ऐसे हैं, जहां एक ही शिक्षक नियुक्त हैं वरना स्वीकृत पदों की तुलना में कम अध्यापक नियुक्त हैं, जिससे बच्चों का अध्ययन प्रभावित हो रहा है. रिपोर्ट के आधार पर 600 स्कूल चयनित किए गए. इन संस्थाओं में अध्ययन के वैकल्पिक तरीकों पर मंथन किया गया और दूसरे चरण में जिला कलेक्टर द्वारा जिले के भामाशाहों और दानदाताओं से इन शिक्षण संस्थाओं में स्मार्ट टीवी के माध्यम से अध्यापन कार्य नियमित बनाए रखने संबंधी चर्चा की. दानदाताओं ने इसमें रुचि दिखाई और लगभग सवा करोड़ रुपए से अधिक राशि के स्मार्ट टीवी उपलब्ध करवाए गए. 


साथ ही जिला स्तर पर 5 अक्टूबर को वृहद कार्यक्रम आयोजित हुआ और प्रदेश के शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला के साथ भामशाहों की मौजूदगी में इन सभी संस्थाओं के प्राचार्यों को यह टीवी वितरित किए गए. साथ ही एक सप्ताह में इन्हें इनस्टॉल करते हुए इनके माध्यम से अध्ययन प्रारंभ करवाने के लिए निर्देशित किया गया. इन सभी स्कूलों के एक कक्ष को स्मार्ट कक्ष बनाने के लिए भी निर्देश दिए गए, जिससे इसी कक्षा में बैठकर बच्चे पढ़ सकें. प्रत्येक स्कूल को कोर्स के अनुरूप डिजिटल कंटेंट उपलब्ध करवाए गए, जिले के ऐसे समस्त प्राथमिक स्कूलों में उच्च क्षमता के हार्ड डिस्क में यह कंटेंट दिए गए. प्रत्येक स्कूल में इन स्मार्ट टीवी के माध्यम से होने वाले शिक्षण कार्य की मासिक रिपोर्ट भी संकलित की गई.


आपको बता दें कि सतत मॉनिटरिंग और स्कूलों के प्रभावी क्रियान्वयन की बदौलत अब जिले की 600 से अधिक स्कूलें 'स्मार्ट' हो चुकी हैं और अध्यापकों की कमी के बावजूद एक हद तक शिक्षण कार्य को बाधित होने से रोका जा सका है. निसंदेह जिला प्रशासन का यह प्रयास ऐसी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन साबित हो रहा है. जिला प्रशासन द्वारा सूचना तकनीक के दौर में बच्चों के लिए शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाने का प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके शानदार प्रयास परिणाम सामने आएंगे.


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