Bikaner: सरकार आम आदमी के स्वास्थ को लेकर कई तरह की योजना चला रही है. जिससे हर कोई स्वस्थ रहे लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की सीएचसी में आज भी मूलभूत सुविधाओं का आभाव है. इन सुविधाओं के लिए मरीजों को बाहर से पैसा खर्च के लेनी पड़ती है.


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ग्रामीण क्षेत्र की एक ऐसी सीएचसी जिसका खुद मुख्यमंत्री ने शुभारंभ किया लेकिन आज तक वहां पानी का कनेक्शन तक नहीं पहुंचा. मरीजों को एक एक बूंद के लिए पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं. सरकारें लाख दावा करती हैं लेकिन अस्पताल बनने के तीन साल बाद भी पानी का कनेक्शन नहीं है. 


मामला लूणकरणसर विधानसभा के महाजन उपतहसील में स्थित समुदाय स्वास्थ्य केंद्र का है. जहां पीने के पानी के लिए कनेक्शन तक नहीं है. ऐसे में मरीजों के लिए परिजनों को बाहर से बोतलों का पानी खरीदना पड़ रहा है. अस्पताल को बने हुए तीन साल हो गए जबकि अस्पताल का लोकार्पण वर्चुअल तरीके से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया. उसके बाद अस्पताल शिफ्ट हुआ जिसको अभी तक दो साल का वक्त हो गया लेकिन अस्पताल आज भी पानी के कनेक्शन को तरस रहा है. आठ माह पूर्व अस्पताल का दौरा बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल ने किया था. उस समय ग्रामीणों ने अवगत भी करवाया परन्तु जैसे स्थिति पहले थी वैसी ही आज भी बनी हुई है.


भामाशाह द्वारा ठंडे पानी की व्यवस्था तो की जाती है लेकिन वो पूरे दिन व अस्पताल के मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण पर्याप्त नही है. ऐसे में बाहर से पानी खरीदकर लाना पड़ता है. नेशनल हाईवे 62 पर अस्पताल होने के कारण मरीजो की संख्या ज्यादा रहती है जिससे पानी की खपत ज्यादा होती है.


डॉ.अभिषेक पंवार ने बताया कि पानी की एक बड़ी समस्या है. अस्पताल शिफ्ट हुए दो साल होने को है लेकिन पानी कनेक्शन आज तक नहीं हुआ. टैंकरों व भामाशाहों कि मदद मिल रही है. जिससे हम पानी की पूर्ति कर रहे हैं. हरिराम का कहना है कि मरीज दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद अस्पताल पहुंचते हैं.उसके बाद उनको पीने के लिए पानी नहीं मिलना एक विकट समस्या है और काफी बार जनप्रतिनिधियों को अवगत करवाया लेकिन समस्या आज भी ऐसी ही बनी हुई है.


दीपक का कहना है कि मेरा भाई अस्पताल में भर्ती है. ऐसे में मुझे पीने के लिए पानी चाहिए था तो मुझे बाहर होटल से पानी की बोतल खरीद कर लानी पड़ रही है. सरकार आम आदमी के स्वास्थ को लेकर तो करोड़ों रुपए की योजनाएं बना रही है लेकिन फ्री योजना की वाहवाही लूटने के चक्कर में ये भूल जाती है कि मरीज को दवा से पहले मूलभूत सुविधा की जरूरत होती है.  जो अस्पताल खुद बीमार हो वो कैसे मरीजों की देखभाल करेगा. ये ऊपर बैठे उन अधिकारियों को सोचना पड़ेगा जो आनन फानन में ऐसे अस्पतालों का शुभारंभ करवाते हैं


Reporter-Tribhuvan Ranga


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