Duck-Fish Farming: किसानों की Income डबल कर देगा मछली के साथ बत्तख पालन, जानें कैसे कर सकते हैं शुरू और कितने दिन में होगा मुनाफा
मछलीपालन और बत्तखपालन एक नया और लाभकारी विकल्प हो सकता है, जिसमें दोनों को एक दूसरे से सहयोग मिलता है और उत्पादन लागत में भी कमी आती है.
Duck-Fish Farming: मछलीपालन और बत्तखपालन एक नया और लाभकारी विकल्प हो सकता है, जिसमें दोनों को एक दूसरे से सहयोग मिलता है और उत्पादन लागत में भी कमी आती है. बत्तखों को मछलीपालन के तालाब में रखने से तालाब की सफाई में भी मदद मिलती है, क्योंकि वे गंदगी को खाते हैं और तालाब का ऑक्सीजन लेवल बनाए रखते हैं. इससे मछलियों को भी अच्छा वातावरण मिलता है और उनकी वृद्धि दर में वृद्धि होती है. इसके अलावा, बत्तखों के मल-मूत्र से तालाब में उर्वरकता बढ़ती है, जिससे मछलियों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होती है. इस प्रकार, मछलीपालन और बत्तखपालन का संयोजन एक दूसरे के पूरक होने के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा में भी मदद करता है.
किसानों की आय बढ़ाने का आसान तरीका
आजकल किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए विभिन्न सह-व्यवसायों की ओर मुड़ रहे हैं. मछलीपालन और बत्तखपालन एक नया और लाभकारी विकल्प हो सकता है, जिसमें दोनों को एक दूसरे से सहयोग मिलता है और उत्पादन लागत में भी कमी आती है. पोल्ट्री विशेषज्ञ और कृषि विज्ञान केन्द्र आजमगढ़ के हेड डॉ एल. सी. वर्मा के अनुसार, बत्तखों को मछलीपालन के तालाब में रखने से तालाब की सफाई में मदद मिलती है, क्योंकि वे गंदगी को खाते हैं और तालाब का ऑक्सीजन लेवल बनाए रखते हैं. इससे मछलियों को अच्छा वातावरण मिलता है और उनका विकास होता है. साथ ही, उत्पादन की लागत में कमी होती है, जिससे किसान बत्तख के साथ मछली पालन करके डबल मुनाफा कमा सकते हैं. यह व्यवसाय किसानों के लिए आय बढ़ाने का एक आकर्षक विकल्प हो सकता है.
बत्तख और मछली पालन
बत्तख और मछली एक दूसरे के साथी हो सकते हैं. तालाब में बत्तखपालन और मछलीपालन करने से दोनों को एक दूसरे से सहयोग मिलता है और उत्पादन की लागत में कमी होती है. बत्तख तालाब की गंदगी को खाकर उसकी सफाई करता है, जिससे मछली के आहार में लगभग 75 प्रतिशत कम खर्च होता है. साथ ही, बत्तख के पानी में तैरने से तालाब का ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है, जिससे मछलियों की अच्छी बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा, बत्तख के आहार में 30 से 35 फीसदी खर्च कम हो जाता है. इस प्रकार, एक ही तालाब से हम दो व्यवसाय करके दोहरा लाभ ले सकते हैं और लागत में कमी आ सकती है. यह व्यवसाय किसानों के लिए आय बढ़ाने का एक आकर्षक विकल्प हो सकता है.
मछली पालन के साथ बत्तख पालन
बारहमासी तालाबों का चयन करें जिनकी गहराई कम से कम 1.5 मीटर से 2 मीटर हो.
बत्तखों की अच्छी प्रजाति का चयन करें, जैसे कि इंडियन रनर और खाकी कैम्पबेल.
खाकी कैम्पबेल प्रजाति सबसे उत्कृष्ट मानी जाती है, जिससे साल भर में लगभग 250 अंडे मिलते हैं.
तालाब में मछली पालन के लिए उपयुक्त प्रजातियों का चयन करें.
बत्तखों और मछलियों के लिए अलग-अलग आहार और देखभाल की व्यवस्था करें.
नियमित रूप से तालाब की सफाई और रखरखाव करें.
इस प्रकार, मछलीपालन और बत्तखपालन के संयोजन से आप दोहरा लाभ प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा सकते हैं.
बत्तख पालने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें
बत्तखें आमतौर पर 24 सप्ताह की आयु में अंडे देना शुरू कर देती हैं और 2 साल तक यह प्रक्रिया जारी रहती है.
एक एकड़ तालाब में 250 से 300 बत्तखें पाली जा सकती हैं.
तालाब में बत्तखों के लिए उचित बाड़ा बनाना चाहिए जो हवादार और सुरक्षित हो.
बत्तखों को दिनभर तालाब में घूमने की जगह और रात में सुरक्षित बाड़े की जरूरत होती है.
ये भी हैं ख़ास बात
तालाब के चारों ओर बांस, लकड़ी या अन्य सामग्री से बना बाड़ा बनाना चाहिए.
बत्तखों को प्रतिदिन 120 ग्राम दाना देना जरूरी है, जिसे मछली पालन कर 60-70 ग्राम देकर पूरी किया जा सकता है.
इससे खर्च में कमी होती है और पानी का ऑक्सीजन लेवल भी बना रहता है, जो मछलियों के लिए अहम है.
इस प्रकार, बत्तख पालने से न केवल अंडे और मांस की प्राप्ति होती है, बल्कि मछली पालन के साथ इसका संयोजन करके अतिरिक्त आय भी प्राप्त की जा सकती है.
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