Bundi Holi Rangoli 2023: बूंदी शहर में होलिका दहन पर कलाकारों हर वर्ष की तरह रंगोलियां सजाई और कई रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए. बूंदी शहर के आराध्य देव चारभुजा नाथ, बुलबुल का चबूतरा व नाहर का चोह्टा पर विशेष रूप से रंगोली सजाई गई जिसे देखने शहर के लोग देर रात तक उमड़ते रहे.


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छोटी काशी के नाम से है मशहूर बूंदी शहर पौराणिक परंपराओं को निभाने में आज भी अपनी पहचान बना रहा है. पौराणिक मान्यता के अनुसार होलिका दहन के पूर्व महिलाएं सामूहिक रूप से होली की पूजा करती है और मनोकामनाएं मांगती है. होली के लिए युवाओं की टोलियां जंगल से लकड़ियां लाकर बड़े-बड़े पेड़ों को लगाते हैं और रंगोली सजाते हैं. उसके बाद मूर्हत के अनुसार उसका दहन होता है.इस अवसर पर विदेशी सैलानी भी खूब रंग गुलाल में रंगे रहते हे.


पर्यावरण व जंगल को बचाने की लिए अब युवाओं की टोलियां बड़े-बड़े जंगल से पेड़ लाने में आगे नहीं आती. आज के दौर में सूखी टहनियों वह बाजार से लकड़ी की बांस बल्ली लाकर होली का रूप दिया जाता है और उसे दहन कर दिया जाता है .एक दशक पूर्व तक बड़े-बड़े विशालकाय पेड़ों को जंगल से लाकर होली के रूप में सजाते थे सभी में एक दूसरे से इस बात का कंपिटिशन रहता था कि किस मोहल्ले की होली बड़ी आती है लेकिन जैसे-जैसे दौर बदलता गया. अब जंगल से बड़े पेड़ों को काटना बंद हो गया और छोटे रूप में ही होली को सजाया जाता है जिससे जंगल भी बच रहे है.


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होलिका दहन के बाद शहर के आराध्य देव चारभुजा मंदिर में धूलंडी का रंग देखने को मिलता है. मंगला आरती के बाद भगवान के संग होली खेली जाती है और उसके बाद प्रसाद का वितरण होता है. शहर के विभिन्न गली मोहल्लों से कॉलोनियों से लोग यहां आते हैं और धुलंडी की शुरुआत करते हैं.