बूंदी: माघ महीने की बरसात से गेंहू की फसलें लहलहा रही है. वहीं, कच्ची ईंटों के उत्पादन पर ब्रेक लग गया है. भारी और तेज बारिश की वजह से लाखों कच्ची ईंटें बर्बाद हो गई है. हाड़ोती में लाखेरी की ईंटों की एक अलग ही पहचान है. इसी के चलते सबसे अधिक ईंटों का उत्पादन भी लाखेरी क्षेत्र में होता है. रविवार देर रात से सोमवार सुबह तक हुई बरसात का असर ईंटों के उत्पादन पर भी पड़ा है. बरसात से लाखों कच्ची ईंटें मिट्टी में मिल गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

करीब 8 घंटों तक कभी तेज तो कभी हल्की बरसात ने इन कच्ची ईंटों को बर्बाद कर दिया. इसके चलते अधिकांश ईंट भट्टों पर तैयार कच्ची ईंट खराब हो गई है. बरसात से कच्ची ईंटे गीली होकर गल गई . कच्ची ईंटों के नुकसान से ईंट भट्टों के मालिक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.


यह भी पढ़ें: Rajasthan Weather Update: राजस्थान में फिर बढ़ी ठिठुरन, इन जिलों में बारिश और ओले गिरने का अलर्ट


लाखों ईंटों का होता है उत्पादन 


दरअसल, जनवरी व फरवरी मे अधिकांश कच्ची ईंटे बनाकर पकने के लिए तैयार रहती है. फरवरी महीने के आखिरी महीने में नई ईंटों की खेप भट्टी से बाहर निकलती है, लेकिन इस बार बारिश के चलते नई खेप आने में देर लग सकती है. आठ घंटों तक भारी बारिश ने उत्पादकों के अरमानों पर पानी फेर दिया. 


कच्ची मिट्टी नुकसान से महंगी हो सकती है मिट्टी


हाड़ोती में लाखेरी ही एक ऐसी जगह है जहाँ ईंटों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. लाखेरी में सौ से अधिक साइट पर पाँच सौ से अधिक टाप पर ईंटे बनाई जाती है. एक टाप पर पचास हजार से ढाई लाख ईंटों को तैयार किया जाता है. लाखेरी की ईंटे पूरी हाड़ोती में गुणवत्ता के लिहाज से अलग माना जाता है. यहां की ईंटों की मांग प्रदेश के कई जिलों में भी रहती है. लेकिन इस बार नई ईंटों के खेप निकलने में देरी आ सकती है. साथ ही ईंट भट्टों के मालिकों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस बार नई ईंटों की कीमतें महंगी हो सकती है.