एक मंदिर! ऐसा भी जहां अपराधियों की खुल जाती है अपने आप हथकड़ियां, जानें कैसे
जोगणिया माता मंदिर परिसर में लटकी हुई हथकड़ियों के बारे में कहा जाता है कि चोर और डाकू वारदात को अंजाम देने से पहले माता का आशीर्वाद लिया करते थे.
Begun: कहते है भगवान के दर पर सभी बराबर होते है. बस आस्था मजबूत हो तो भगवान को भी अपनी भक्ति की शक्ति के बल पर धरती पर खींच लाते है. फिर चाहे यह भक्ति आम इंसान की हो या फिर किसी चोर या डाकू की. भगवान के दर पर भक्त - भक्त ही है. पर क्या हो जब देवी-देवता ऐसे अपराधियों की भी सुनने लगे जो किसी भी अपराध को करने से पीछे नहीं हठते . बल्कि अपराध करने से पहले वह उस अपराध के लिए स्वयं भगवान के दर पर जाकर उसके सफल होने की मन्नत मांगते है. अजीब लगता है ना यह सब पढ़कर पर यह सच है, चित्तौड़गढ़ जिले की जोगणिया माता के बारे में यही कहा जाता है, कि मां के दर से कोई कभी खाली हाथ नहीं जाता. चाहे वो राज हो रंक हो या कोई अपराधि . माता सबकि मन्नतों को पूरा किया है.
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जिले से लगभग 85 किलोमीटर दूर राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा से लगते उपरमाल पठार के दक्षिणी छोर पर चित्तौड़गढ़ की पहाड़ी और सौंदर्य के बीच घिरा प्राचीन और अद्भुत जोगणिया माता का मंदिर है. इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी ईवीं के लगभग हुआ था. मान्यता है कि पहले यहां अन्नूपर्णा देवी का मंदिर हुआ करता था. जिसके बाद अन्नपूर्णा के बजाय जोगणिया माता के नाम से यह शक्ति पीठ पूरे लोक में प्रसिद्ध हुआ. मंदिर परिसर में लटकी हुई हथकड़ियों के बारे में कहा जाता है कि चोर और डाकू वारदात को अंजाम देने से पहले माता का आशीर्वाद लिया करते थे, जिनके पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद मौके से फरार होते हुए मां के दरबार पहुंचते था जहां उनके हाथों में लगी बेड़िया अपने आप ही खुल जाया करती थी.
जोगणिया माता लोक आस्था की देवी है जिन्हें एक चमत्कारी देवी के रूप में जाना जाता है. देवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो शेरों की सजीव आकृतियां बनी है. मंदिर के गर्भगृह में महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तिया स्थापित है. मंदिर परिसर में दो शिव मंदिर बने हुए है, जहां सालों से गोमुख से रिस-रिसकर बहती जलधारा पर्वतमाला और सुरम्य वन्य क्षेत्र से आवृत इस मंदिर में नैसर्गिक सौंदर्य में वृद्धि कर देते है. माता की कृपा से मनोवांछित फल पाने के लिए श्रृद्धालु बड़ी संख्या में देवी के इस मंदिर में आते है. नवरात्रों के दिनों में यहां मेले जैसा माहौल रहता है. जहां 9 दिनो तक हजारों श्रृद्धालु माता के दर्शन कर अपनी मनोकांमना मांगते है.
शारदीय नवरात्रि में शक्ति उपासना की भावना से मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठों पर जनसैलाब उमडता रहा है लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते लगभग सभी शक्तिपीठों पर भक्तों की अपेक्षाकृत कम भीड दिखाई दे रही है. इन सबके बावजूद अनेक श्रद्धालु अपनी आराध्या देवी के दर्शनों के लिए अवश्य पहुंच रहे है. कोविड 19 के चलते जोगणियां माता मंदिर में नवरात्रि में दर्शन बंद रखने की घोषणा की गई थी लेकिन दूर दराज से आये कई श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए मंदिर मण्डल प्रबंधन ने भक्तों की आस्था को देखते हुए श्रद्धालुओं को बारी बारी से दर्शन की वैकल्पिक व्यवस्था की है जिसके फलस्वरूप यहां आने वाले भक्त भी माता जोगणियां के दर्शन कर सकते है.
Reporter: Deepak Vyas