Chittorgarh: रावतभाटा में उपजिला अस्पताल में मेडिकल स्टॉफ की ओर से एक बड़ी लापवाही सामने आई है. यहां नाइट शिफ्ट में अक्सर ड्युटी के दौरान डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के सोने की शिकायतें मिल रही थी, जिसके बाद मामले की पुष्टि हुई है. अलग-अलग दिनों में नाइट शिफ्टों के दौरान उपजिला अस्पताल में व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया, जिसमें ड्युटी स्टॉफ ड्युटी के दौरान कुंभकरणी नींद निकालता हुआ मिला.


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रावतभाटा उपखंड क्षेत्र में एक मात्र बड़ा सरकारी अस्पताल है, जहां 60 से 70 किलोमीटर दूरस्त ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र के मरीज रेफर होकर इलाज करवाने आते है, लेकिन यहां काफी समय से मरीजों की ओर से नाइट में नर्सिंग स्टॉफ के सोने की शिकायते मिलती रही है. अक्सर रात बे रात दूर दराज से मरीज जब अस्पताल आते है तो यहां उन्हें ड्युटी रूम खाली मिलते है.


ऐसी ही शिकायत पर रिपोर्टर की टीम ने एक बार फिर अस्पताल की स्थिति का जायजा लिया, जिसमें ड्युटी रूम में मात्र एक यूटीबी नर्सिंग कर्मचारी गहरी नींद में सोता मिला, जबकि एक ड्युटी डॉक्टर और दो परमानेंट स्टॉफ के अलावा एक और प्राइवेट यूटीबी नर्सिंग स्टॉफ भी ड्युटी रूम में बैठने के बजाय अलग-अलग कमरों में एसी, कूलर और पंखे चलाकर नींद निकाल रहे थे और ड्युटी रूम में सो रहे एक प्राइवेट यूटीबी नर्सिंगकर्मी के भरोसे पूरे अस्पताल की पूरी व्यवस्थाएं नजर आई. 


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इस दौरान देर रात को एक महिला मरीज के अस्पताल में आने पर तीमारदार ने टेबल बजा कर उठाया. अंचम्भित करने वाली बात तो ये रही कि यूटीबी नर्सिंग कर्मी ने ना किसी नर्सिंग ऑफिसर को बुलाया और ना ही किसी डॉक्टर को बुलाया. एक मरीज की बीमारी देख उसे खुद से ही इंजेक्शन लगा दिया. पूछने पर यूटीबी नर्सिंग कर्मी ने बताया कि परमानेंट स्टॉफ रेस्ट रूम में आराम कर रहा है और कोटा से रावतभाटा अप डाउन करने वाले ड्युटी डॉक्टर गिरिराज भी दूसरे किसी रूम में आराम कर रहे है. एमरजेंसी हो तो ऑन कॉल डॉ. साहब को बुलाया जाता है.


रावतभाटा उपजिला अस्पताल में ड्युटी स्टॉफ के ड्युटी रूम को छोड़कर दूसरे कमरों में नींद निकालने का मामला भी नया नहीं है. एमरजेंसी और गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज करवाने आए मरीजों की जिंदगी के लिए एक-एक पल किमती रहता है जबकि इससे पहले भी देर रात को कई दफा एमरजेंसी में इलाज करवाने आए मरीजों को यहां नर्सिंग स्टॉफ आस-पास के कमरों में दरवाजे बंद करके सोता ही मिला है, जिसमें तीमारदारों या फोर्थ क्लास स्टॉफ ने कमरों के दरवाजे बजाकर नर्सिंग स्टॉफ को जगाया. 


वहीं दूसरी और आधी रात में कोई मरीज अस्पताल आ रहा है, तो उसकी तकलीफ भी बड़ी ही होगी, जबकि नर्सिंग स्टॉफ की नींद में खल पड़ भी जाए तो ड्युटी डॉक्टर साहब की नींद में खलल न पड़े इसलिए उन्हें उठाया नहीं जाता और नर्सिंग स्टॉफ अपने स्तर पर ही मरीज को दवा गोली, या इंजेक्शन लगा रवाना कर देता है. ऐसे में कभी मरीज को आराम मिल जाता है, तो कभी-कभी मरीज की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है.


ड्युटी रूम से पूरे मेडिकल स्टॉफ का गायब रहना अपने आप में बड़ी लापरवाही माना जा रहा है, जिसे लेकर एक समाज सेवी संस्था ने सीएमएचओ और मुख्य मंत्री को भी इसकी शिकायत भेजी है. इस तरह की अनियमिताओं के बावजूद बताया जा रहा है कि चिकित्सा विभाग की ओर से 18 पैमानों पर खरा उतरने पर रावतभाटा उपजिला अस्पताल को 3 लाख रुपये का पुरस्कार मिलने वाला है.


आपको बता दें कि बेगूं विधान सभा से विधायक राजेन्द्र सिंह बिधूड़ी को यहां के लोग गरीबों को मसीहा कहते है. जो कि गरीबों के प्रति बहुत ही ज्यादा संवेदनशील भी है. चाहे बड़े से बडा अधिकारी हो, अगर वो किसी आमजन की समस्या का समाधान नहीं करता तो वो व्यक्ति सीधे विधायक बिधूडी के पास जाकर अपनी शिकायत दें सकता है और विधायक बिधुड़ी भी तुरंत अधिकारी को लाइन पर लेकर पिड़ित की समस्या का समाधान भी करते है. 


वहीं चिकित्सा के क्षेत्र में विधायक बिधूड़ी ने रावतभाटा को ट्रोमा सेंटर सहित और भी कई बड़ी सौगातें दी और उनके प्रयासों के चलते रावतभाटा सामुदायिक स्वास्थ्य हाल ही में केन्द्र क्रमोनत होकर उपजिला अस्पताल में तब्दील हुआ है. अब ऐसे में गरीबों के इलाज को लेकर बरती जा रही इतनी बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद विधायक बिधुड़ी जिम्मेदारों के खिलाफ क्या एक्शन लेंगें ये देखने वाली बात रहेगी.


Reporter: Deepak Vyas


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