Chittorgarh : चित्तौड़गढ जिले का एक और जवान मां भारती की सेवा को समर्पित हो गया. निकटवर्ती नगरी ग्राम पंचायत क्षेत्र के गुर्जर खेड़ा के रहने वाले 38 साल के राधेश्याम गुर्जर मणिपुर में तैनात थे. जहां, 2 जनवरी को गोली लगने से वो वीरगति को प्राप्त हो गए. पैतृक गांव में हजारों लोगों ने आज उन्हें अंतिम विदाई दी.


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शुक्रवार को जैसे ही दोपहर चित्तौड़गढ़ के उनके पैतृक गांव गुर्जरखेड़ा में तिरंगे में लिपटी उनकी पार्थिव देह पहुंची जहां पहले से उनका इंतजार कर रहे हजारों ग्रामवासियों और उनके परिजनों की आंखे नम तो थीं, लेकिन शहीद की शान में फक्र से उनका सीना चौड़ा था. सबसे पहले शहीद की पार्थिव देह को उसके पैतृक गांव में स्थित उनके घर लाया गया. जहां अंतिम विदाई से पहले शहीद के परिवार में मां, पत्नी, बेटे, बेटियों और उनके भाइयों ने उनके दर्शन कर अंतिम विदाई की तैयारी की.


रिटायरमेंट के बाद भी करना चाहता था देश की सेवा


शहीद राधेश्याम के परिवार में माता-पिता के अलावा पत्नी और तीन बच्चे हैं. शहीद के बड़े भाई नारायण ने बताया कि दो साल पहले भाई का रिटायरमेंट हो गया था. लेकिन भाई राधेश्याम अभी कुछ साल और देश की सेवा करना चाहता था. अपनी देश सेवा के जज़्बे को देखते हुए उसने आगे और एक्सटेंशन ले लिया. परिवार को क्या पता था कि राधेश्याम की पार्थिव देह इस तरह से उनके घर आएगी. हालांकि राधेश्याम की देश के नाम हुई इस शहादत पर पूरे परिवार को नाज़ है.


पार्थिव देह के गांव गुर्जर खेड़ा पहुंचने पर राधेश्याम की एक झलक पाने को हजारों ग्रामीण बेताब नज़र आए. जैसे ही सेना के जवानों के कांधों पर सवार तख्त में बंद राधेश्याम की पार्थिवदेह ने गांव में प्रवेश किया, हजारों की तादाद में राह देखते ग्रामीण, जिनमें युवा, महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग शहीद के अंतिम दीदार को उमड़ पड़े. घर के सामने हजारों की तादात में जमा भीड़ की वजह से पैर रखने की जगह तक नहीं बची, जिसके चलते लोग और सैंकडो महिलाएं शहीद के अंतिम दर्शन करने आसपास के मकानों की छतों पर चढ़ गईं.


शहीद के शव के अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़


शहीद राधेश्याम की परिवार के बीच अंतिम रस्में, रीति रिवाज और प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद यहाँ से पार्थिव देह को ग्राम पंचायत भवन के पास प्रशासन की ओर से आवंटित जमीन पर ले जाया गया. खुले मैदान को फूल और तिरंगे की सजावट के साथ बेरिकेडिंग से युक्त परिसर के बीच शहीद के शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. जहां सेना के साथ जिला पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. यहां शहीद की पार्थिव देह पंच तत्व में विलीन होने से पहले परिजनों और ग्रामीणों ने शहीद को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी और भारत माता की जय, जब तक सूरज चांद रहेगा, राधेश्याम तेरा नाम रहेगा जैसे नारों से पूरा इलाका गुंजायमान हो उठा. इसके बाद शहीद के बेटे ने उनकी पार्थीव देह को मुखाग्नि दी. यहां भी ग्रामीणों शहीद की शान में जमकर नारेबाजी की.


मणिपुर में दे रहे थे सेवाएं


नगरी ग्राम पंचायत के सरपंच देवकिशन ने बताया कि ग्राम पंचायत के गुर्जर खेड़ा निवासी राधेश्याम गुर्जर मणिपुर में सेवाएं दे रहे थे. 2 जनवरी को मणिपुर में शहादत को प्राप्त हुए. ग्राम पंचायत भवन के पास ही उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिये जमीन आवंटित की गई हैं. तहसीलदार सहित पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के साथ चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने भी राधेश्याम की शहादत को सलाम किया. उदयपुर से लाते वक्त रास्ते में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने जगह-जगह शहीद के काफिले को फूल माला अर्पित कर श्रधांजलि दी.


उग्रवादियों से मुठभेड़ के दौरान लगी गोली 


बताया जा रहा है कि मणिपुर में उग्रवादियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने की बात सामने आ रही हैं तो कही कुछ और बात कही जा रही हैं. हालांकि सेना के अधिकारियों की ओर से स्पष्ट कर दिया गया हैं कि ड्यूटी के दौरान उन्हें गोली लगी, और वो देश के नाम शहीद हुए है. आपको बता दें कि करीब छह महिने पहले चित्तौड़गढ़ की राशमी तहसील मे आने वाले रूद ग्राम पंचायत के जवान लादुलाल सुखवाल भी कश्मीर मे शहीद हो गए थे. एक साल से भी कम समय ये दूसरा मौका है जब चित्तौड़गढ़ ने अपना वीर सपूत खोया है.


Reporter- Om Prakash