Chittorgarh News: सर्दी के मौसम में हाइवे से निकलने वाले वाहन चालकों और यात्रियों को सड़क किनारे बन रहे ताजा गुड़ की महक और मिठास बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रही है. 


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जिला मुख्यालय के आसपास निकलने वाले कोटा हाइवे, उदयपुर हाअवे, भीलवाड़ा हाइवे और निंबाहेड़ा हाइवे के किनारे कई गुड़ के प्लांट संचालित हैं, जहां रोजाना ताजा बना गुड़ बेचा जा रहा है, जो पूरी तरह से देशी पद्धति से बना है. इसमे किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं होने से चित्तौडगढ़ में बना यह देशी गुड़ चित्तौडगढ़ और राजस्थान ही नहीं देश के अन्य राज्यों में भी पसंद किया जा रहा है. 


सर्दी के मौसम में गुड़ को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभ दायक माना जाता है इसलिए गुड़ को इस मौसम में आमतौर पर भोजन में गुड़ को शामिल किया जाता है, लेकिन बाजारों में अधिकांश स्थानों में पर बेचे जा रहे गुड़ को विभिन्न रसायनों के प्रयोग से बना बताया जाता है, जो स्वास्थ्य में लिए नुकसानदायक होता है. इसी कारण से देशी तरीके से खेतों में बनी विशाल भट्टी में गन्ने के रस को गर्म कर बनाया गया गुड़ बेहद पसंद किया जा रहा है. 


चित्तौडग़ढ़ के समीप कोटा मार्ग पर सेमलपुरा में अपने खेत पर तुलसीराम डांगी के पुत्र पप्पु लाल ने बताया कि उनके खेत पर ही गन्ने की खेती की जा रही है और यहीं पर भट्टी लगाकर देशी तरीके से गुड़ बनाया जा रहा है. 


उन्होंने बताया कि उनके द्वारा गुड़ को बनाने में किसी तरह के रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है. वह अपने खेतों पर ही भिंडी की फसल उगाकर उसके रस का प्रयोग गन्ने के रस को फाड़ने में करते हैं, जिससे कई घंटों की मेहनत के बाद गन्ने का रस गुड़ के रुप में सामने आता है. 


स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होने के चलते यहां गुड़ के खरीददारों की संख्या बढ़ती जा रही है. हाइवे से निकलने वाले विभिन्न राज्यों के दर्जनों ट्रक चालक यह गुड़ अपने घरों में लेकर जाते हैं. इसके साथ ही देशी गुड़ राजस्थान सहित अन्य राज्यों में भी विक्रय के लिए भेजा जा रहा है. डांगी ने बताया कि 1 क्विंटल गन्ने में करीब 10 किलो गुड़ बनता है, वर्तमान में गुड़ की कीमत 45 से 50 रुपये किलो मिल रही है. उनके गुड़ बनाने के कार्य से 8-10 मजूदरों को भी रोजगार मिला हुआ है. 


Reporter-Deepak Vyas