चित्तौड़गढ़ : वन विभाग के ठेकेदार से प्रशासन की मिलीभगत के आरोप, कलेक्ट्रेट में ही बस गया मजदूरों का गांव
Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं विधानसभा के अन्तर्गत रावतभाटा क्षेत्र वन विभाग में काम करने वाले मजदूरों को अपनी ही मज़दूरी के पैसों के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं.
Chittorgarh, Begun: चित्तौड़गढ़ जिले के बेगूं विधानसभा के अन्तर्गत रावतभाटा क्षेत्र वन विभाग में काम करने वाले मजदूरों को अपनी ही मज़दूरी के पैसों के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं. मामला इतना बिगड़ चुका है कि पिछले चार दिनों से इन मजदूरों ने मज़दूरी की मांग को लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय में ही बसा दिया है. अपना गांव जहां पर खानें पीने की व्यवस्था भी स्थानीय भामाशाहों की मदद से इंद्रा रसोईघर से की जा रही है, फिर भी जिला प्रशासन और वन विभाग इनकी खबर नहीं ले रहा.
एक तरफ अशोक गहलोत सरकार राजस्थान में चुनावी वर्ष को देखते हुए सरकार को वापस लाने का पूरा प्रयास कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हीं के अधिकारी और कर्मचारी सरकार की नाक कटाने में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
प्रति माह की 1 तारीख को वेतन पाने वाले कर्मचारियों और अधिकारीयों की जोकि अपने सरकारी कामों को ठेके के मार्फत मजदूरों से नियमानुसार करवाने का दम्भ भरते हैं. तो वहीं जब मजदूरों की मजदूरी भुगतान का समय आता है तो भ्रष्टाचार के चलते वे ही अधिकारी उन्हीं ठेकेदार और मजदूरों से कन्नी काटते हुए नजर आते हैं.
बता दें कि एक तरफ अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान में कांग्रेस की सरकार वापस बनाने के लिए कमर कस रखी है तो वहीं दूसरी ओर जिला कलेक्टर सहित वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कांग्रेस सरकार की नाक कटाने में किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहे हैं वाकया कुछ इस प्रकार है कि रावतभाटा वन विभाग जोकि चित्तौड़गढ़ जिले के अंतर्गत दूरस्थ तहसील है जो कि कोटा जिले के नजदीक पड़ता है.
रावतभाटा की दूरी चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय से 140 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. रावतभाटा वन विभाग में रेंजर द्वारा ठेकेदार द्वारा लगाए गए मजदूरों के 1 लाख 60 हजार गड्ढे खुदवाएं गए लेकिन जब उन्हीं गढ्ढों के भुगतान का समय आया तो मजदूरों को भुगतान करने से आनाकानी की जा रही है. मजदूरों के कहे अनुसार वन विभाग 1 लाख खोदें गए गढ्ढों को कुल 30 से 35 हजार के बीच ही गिन रहा है जबकि मजदूरों का कहना है कि उनका 1 लाख 60 हजार गढ्ढे एक माह में खोदें गए हैं तो उन्हें भुगतान कम क्यों किया जा रहा है.
अब मजबूर होकर मजदूरों को जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ़ के कार्यालय में ही पूरा का पूरा गांव बसा दिया है. ये मजदूर अपनी महिलाओं और बच्चों समेत भूख से तड़प रहे हैं लेकिन जिला प्रशासन ने अभी तक इनकी सुध तक नहीं ली. आम जनों द्वारा जब इन भूखे प्यासे मजदूरों की व्यथा सुनी तो लोगों का दिल भर आया और स्थानीय लोग ने अपने पैसों से चार दिन तक इंदिरा रसोईघर के मार्फत मजदूरों को भोजन करवाया गया.
बता दें कि चित्तौड़गढ़ में इन दिनों रोजाना बारिश का मौसम बना हुआ है और तीन बार बारिश भी आ चुकी है जिससे मजदूरों का सारा सामान भीग चुका है, फिर भी जिला कलेक्टर छुट्टियों का बहाना लेकर मजदूरों से मिल तक नहीं रहे.
सोचने की बात यह है इसी जगह किसी प्रकार का वीआईपी समस्या होने पर जिला कलेक्टर तुरंत ही जिला कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन लेने के लिए आते हैं कुछ दिन पूर्व इसी प्रकार से पेंशनर समाज के लोगों ने जो कि विधायक एवं सांसद तक पहुंच रखते हैं उन्होंने अवकाश के दिन ज्ञापन दिया था तब अवकाश के दिन भी डीवाईएसपी द्वारा तहसीलदार को अनुरोध करने पर जिला कलेक्टर कार्यालय तहसीलदार ने पहुंच कर ज्ञापन लिया था लेकिन इन गरीब मजदूरों की कोई सुनने वाला नहीं है. बारिश का मौसम होने के बावजूद बारिश में सारा खाने पीने और घर का सामान खराब हो चुका है.
मज़दूरी नहीं मिलने से परेशान जिला कलेक्टर कार्यालय में गांव बस चुका है लेकिन कोई सुनवाई करने वाला नहीं अब देखना यह है कि क्या जिला कलेक्टर इन्हें भुगतान दिला पाते हैं या फिर अशोक गहलोत सरकार इसी प्रकार से अपनी सरकार को रिपीट करने का ढिंढोरा पीटते नजर ही चले जाएंगे.