Chittorgarh: रावतभाटा उपजिला अस्पताल में आदिवासी महिला के अस्पताल की गैलरी में प्रसव के मामले में परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर खुद के बचाव में पीड़िता पर दबाव बनाने का आरोप लगाया है.


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परिजनों के अनुसार, महिला उपजिला अस्पताल में इलाज चल रहा है. परिवार के लोग भील आदिवासी परिवार से गरीब तबके लोग हैं. इसका फायदा उठा कर अस्पताल प्रबंधन अपने बचाव में महिला और उसके परिजनों पर दबाव बना कर उससे मनचाहे बयान ले रहे है.


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महिला के पति नारायण भील का कहना है कि इस मामले का मीडिया में खुलासा होते ही अस्पताल प्रबंधन में बौखलाहट मची हुई है. अस्पताल में भर्ती पत्नी और उसके साथ मौजूद परिवार की महिलाओं को डराया जा रहा है और उनसे गैलरी की बजाय प्रसव कक्ष में डिलीवरी होने की बात मनवाने के लिए दबाव मनाया जा रहा है. महिला के पति नारायण ने कहा कि घटना के वक्त मौके पर उसकी मां, सास, ड्राइवर और वो खुद मौजूद था. चाहे कितना भी दबाव बनाए, वो पीछे नहीं हटेगा. उसने तो अपने बच्चे को खो दिया, ऐसा और किसी के साथ ना इसलिए वो अब पीछे नहीं हटेगा.


अस्पताल प्रशासन पर लगे आरोप
गौरतलब है कि रावतभाटा में शुक्रवार को प्रसव पीड़ा से तड़पती कोठारीकुंआ के रहने वाली कालीबाई को परिजन बोराव प्राथमिक स्वास्थ्य ले गए थे. परिजनों ने नर्सिंग स्टॉफ पर बिना रैफर कार्ड बनाए और एंबुलेंस मुहैया करवाए. वहां से भेजने का आरोप लगाया था. महिला और उसके पति ने ये भी आरोप लगाया था कि रावतभाटा उपजिला अस्पताल पहुंचने पर प्रसव कक्ष के बाहर ही प्रसव हो गया था, जिससे बच्चे की मौत हो गई थी.


क्या बोले बीसीएमओ
इस मामले में बीसीएमओ अनिल जाटव का कहना है कि महिला के बच्चे की पहले ही पेट में मौत हो गई थी. अस्पताल की गैलरी में प्रसव की बात भी निराधार है. हमारे पास प्रसव कक्ष में प्रसव के लिए ले जाने के सीसीटीवी फुटेज हैं. वहीं मामले में परिजनों पर बयान बदलने का किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया गया.


Reporter- Deepak Vyas


 


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