Gangrar, Chittorgarh: चित्तौड़गढ़ मोटरयान दुर्घटना दावा अधिकरण के न्यायाधीश अरुण जैन ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में दुर्घटना में घायल हुए प्रार्थी को आई चोटों के फलस्वरुप स्थायी अयोग्यता व्याप्त होने पर क्षतिपूर्ति राशि दिलाए जाने का आदेश दिया है.


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मामले के अनुसार चित्तौड़गढ़ निवासी हेमंत पिता जगदीश चंद्र उपाध्याय ने अपने वाद मित्र ओम प्रकाश उपाध्याय के जरिए एक क्लेम प्रार्थना पत्र अधिवक्ता योगेश व्यास के जरिए अधिकरण में प्रस्तुत कर बताया कि 28 दिसंबर 2013 को घायल प्रार्थी हेमंत अपने साथी मंगलेश के साथ मोटरसाइकिल पर साड़ास से चित्तौड़गढ़ की तरफ आ रहा था. गंगरार स्टेशन के पास प्रार्थी रोड पर नीचे साइड में खड़ा हुआ था कि अचानक भीलवाड़ा की तरफ से आती हुई ट्रक के ड्राइवर ने अपने वाहन को तेज गति गफलत और लापरवाही पूर्वक चलाकर रोड के साइड में खड़े प्रार्थी के टक्कर मार दी.


टक्कर मारने के बाद ट्रक डिवाइडर कूदता हुआ साइड में जाकर पलटी खा गया, जिससे इस गंभीर दुर्घटना में घायल प्रार्थी हेमंत के काफी गंभीर चोटें आईं. जिसको मौके से गंभीर अवस्था में चित्तौड़गढ़ ले जाया गया जहां से भी हालत सीरियस होने से उसे उदयपुर रेफर किया वह वहां से भी हालत में सुधार नहीं होने की वजह से घायल प्रार्थी को अहमदाबाद रेफर किया गया, जहां घायल प्रार्थी लगभग 40 दिन तक राजस्थान हॉस्पिटल में भर्ती रहा इस दौरान घायल प्रार्थी के ऑपरेशन भी किए गए और घायल प्रार्थी का काफी लंबा इलाज चला.


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अधिकरण के समक्ष विपक्षी बीमा कंपनी ने अपना जवाब व लिखित बहस प्रस्तुत कर बताया कि वक्त दुर्घटना मोटरसाइकिल के पीछे का हिस्सा ट्रक से टकराया था जिससे उक्त दुर्घटना स्वयं प्रार्थी की गलती से कारीत हुई है, क्योंकि घायल प्रार्थी स्वयं असंतुलित होकर गिरने की वजह से घायल हुआ तथा इस प्रकरण में प्रार्थी के द्वारा न तो अन्य घायल को और नाही एफआईआर कर्ता को न्यायालय के समक्ष बयान के लिए उपस्थित किया है. जिससे यह स्पष्ट है कि प्रार्थी के द्वारा दुर्घटना होने के उपरांत झूंठी कहानी तैयार कर क्लेम प्राप्त करने की नियत से यह याचिका प्रस्तुत की है.


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अधिकरण के समक्ष दोहराने बहस अधिवक्ता योगेश व्यास ने यह बताया कि इस दुर्घटना में प्रार्थी के घायल होने से उसे शत प्रतिशत की स्थाई अयोग्यता व्याप्त हो गई है, और दुर्घटना में आई चोटों के कारण घायल प्रार्थी किसी भी प्रकार से कोई कार्य करने की स्थिति में अब नहीं रहा है. अधिकरण के न्यायाधीश अरुण जैन ने अपने आदेश में यह माना कि दुर्घटना की दिनांक को ट्रक के ड्राइवर द्वारा अपने वाहन को लापरवाही से चलाकर रोड पर साइड में खड़े हुए घायल प्रार्थी के तथा उसके बाद रोड पर साइड में खड़ी हुई गाय के टक्कर लगाकर ट्रक को पलटी खिला दी.


जिससे यह दुर्घटना ट्रक ड्राइवर की लापरवाही के कारण घटित हुई है, और उक्त दुर्घटना में आई चोटों के कारण घायल प्रार्थी अब अपना कार्य सुचारू रूप से नहीं कर सकता है और वक्त दुर्घटना प्रार्थी की उम्र 36 वर्ष की होने से उसकी भविष्य की आय भी खत्म हो गई है, और उक्त प्रकरण में घायल प्रार्थी के द्वारा महाराणा भोपाल चिकित्सालय उदयपुर की ओर से जारी स्थायी अयोग्यता का प्रमाण पत्र भी अधिकरण के समक्ष पेश किया है और इस प्रमाण पत्र को बनाने वाले डॉक्टर तरुण गुप्ता के बयान भी न्यायालय में करवाएं हैं, जिससे यह प्रमाणित है कि प्रार्थी को काफी गंभीर चोटें आने से उसकी कार्य करने की क्षमता खत्म हो गई है.


घायल प्रार्थी का इस दौरान चित्तौड़गढ़,उदयपुर और अहमदाबाद में भी इलाज चला और भविष्य में भी उसके इलाज चलेगा इस प्रकार घायल प्रार्थी को अधिकरण ने क्षतिपूर्ति राशि 3137228 रुपये और इस राशी पर 30 मई 2014 से ता अदायगी तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी पानी का अधिकारी माना जिससे उक्त क्षतिपूर्ति राशि मय ब्याज के लगभग 47 लाख रुपए से भी अधिक की क्षतिपूर्ति राशि बनती है जो राशि घायल प्रार्थी विपक्षी बीमा कंपनी से पाने का अधिकारी है.


Reporter- Deepak Vyas