चित्तौड़गढ़: श्रीनंदेश्वर महादेव गौशाला में गोकथा, संगीतमय गोकथा का वाचन करते हुए गौ का बताया महत्व
श्रीनंदेश्वर महादेव गौशाला मेंरविवार सुबह 11.30 बजे से गौकथा शुरू हुई. व्यास पीठ से हरे कृष्णा प्रभु राकेश पुरोहित ने संगीतमय गोकथा का वाचन करते हुए गौ का महत्व बताया.
Chittorgarh News: समीपवर्ती धनेतकलां गांव स्थित गोशाला में रविवार को गौ कथा का आयोजन हुआ. श्रीनंदेश्वर महादेव गौशाला मेंरविवार सुबह 11.30 बजे से गौकथा शुरू हुई. व्यास पीठ से हरे कृष्णा प्रभु राकेश पुरोहित ने संगीतमय गोकथा का वाचन करते हुए गौ का महत्व बताया. समस्त ग्रामवासियों, श्रीनंदेश्वर महादेव गौशाला समिति और गौभक्तों की ओर से हुई इस गौकथा को लेकर ग्रामीणों में खासा उत्साह देखा गया. सबसे पहले संत पुरोहित को हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना के बाद जुलूस के रूप में गौशाला स्थित कथा स्थल पर लाया गया. इसके बाद संगीतमय कथा शुरू हुई जो शाम पांच बजे तक चली.
कथा के जरिये गौ भक्तों ने गौसेवा निमित सहयोग राशि की घोषणा की. 51 हजार की राशि कलावती पत्नी स्व. ओमप्रकाश शर्मा ने समर्पित की. इसके अलावा तीन दर्जन से अधिक गौ भक्तों ने सहयोग राशि की घोषणा की. पुरोहित के गौसेवा के आहवान व मार्मिक कथा वृतांत पर चार दर्जन से अधिक गौ भक्तों ने उत्साह के साथ सहयोग राशि की घोषणा की.
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गौशाला में ही लोदा परिवार की ओर से पांच लाख की राशि से पक्षी घर भी बनाया गया. इससे पूर्व गौकथा एवं हरिनाम संकीर्तन में कथा व्यास राकेश पुरोहित ने कहा कि मनुष्य को अपने चित को पिघलाना हो तो परहित में प्रवृत होना चाहिए. रामचरित मानस कहती है परहित सरिस धर्म नही भाई परपीड़ा सम नहीं अधमाई.
जो निरस होगा वो भोग की ओर दौड़ता है. निरस वो व्यक्ति जिसके जीवन में परहित नहीं है. यदि व्यक्ति को सब कुछ प्रारब्ध वस मिलता तो कर्म क्यो करें. प्रारब्ध से परिस्थितियां मिलती, अच्छे फल नहीं मिलते. संसार का एक व्यक्ति भी अच्छा बनता तो संसार अच्छा बनता. परिस्थितियों का भोग करे या उपभोग करे व्यक्ति के स्वयं पर निर्भर करता है. जो काम हमे नही करने वो करना बंद कर दे तो काम करने के लिए जो सामर्थ्य चाहिए वो स्वतः मिल जाता है लेकिन दोगलापन मनुष्य को आगे नही बढ़ने देता. गौ की उपेक्षा ही कलयुग है.
व्यक्ति को गौसेवा में सदारत रहना चाहिए. मेरी मांग वस्तु, व्यक्ति और परिस्थिति नहीं है. हम जानते तो सब है लेकिन मानते नहीं है. राग व द्वेष हमें रोकता है. जो मुझे मिल रहा मिलता रहे यह राग है. मेरे लिए अमंगल नहीं हो ओर दूसरे का अमंगल हो यह द्वेष है. राग व द्वेष नहीं होगा तो वहां प्रेम होगा. कथा के दौरान कीर्तन श्रीराम जय राम जय जय राम, मंगल भवन अमंगल हारी, राम राम राम राम बोल, कृष्णा कृष्णा कृष्णा कृष्णा बोल, गोविन्द गोविन्द गोपाल, हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, जय गौमाता जय गोपाल में श्रोता भाव विभोर हो गए. आभार अधिवक्ता श्याम शर्मा ने जताया.