Bari Sadri: कृषि विज्ञान केंद्र चितौड़गढ़ द्वारा जनजाति उपयोजना के अंतर्गत आयोजित प्रथम पक्ति प्रदर्शनों तिलहन में सोयाबीन फसल की नवीन उन्नत किस्म जे एस 20-34 पर चित्तौड़गढ़ जिले की पंचायत समिति बड़ी सादड़ी के में 28 सितंबर को प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें 56 कृषकों और महिला कृषकों ने भाग लिया. 


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प्रक्षेत्र दिवस कृषक शंकर सिंह मीणा के खेत पर आयोजन किया गया और प्रक्षेत्र दिवस की अध्यक्षता पंचायत समिति सदस्या अनुराधा मीणा ने की. केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर रतनलाल सोलंकी ने कृषकों को प्रदर्शन खेत और कृषक पद्धति के खेतों में तुलना करते हुए अंतर स्पष्ट किया. उन्होंने बताया कि प्रदर्शन खेत के पौधों की वृद्धि के साथ अधिक शाखाएं और फलियों और दानों की संख्या स्थानीय किस्म से अधिक पाई गई और यह किस्म 85 से 90 दिन में पकती हैं. वहीं, रेतीली और मध्यम भूमि क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. औसत पैदावार 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, जो कम और मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए एकाधिक प्रति रोधी किस्म है. 


उनके द्वारा किसानों को प्रदर्शन खेत से प्राप्त उत्पादन बीज को प्रसार करने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही, फसलों में खरपतवार प्रबंधन और समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन की तकनीकी जानकारियां दी गई. 


केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉक्टर राजेश जलवानिया ने सोयाबीन की खेती में बीजोपचार और पौधा संरक्षण के बारे में तकनीकी जानकारियों पर चर्चा की. साथ ही, उत्पादित बीज को आगामी फसल की बुवाई के लिए भंडारण करते हुए स्वयं और पड़ोसी गांवों के अन्य किसानों को बीज के रुप में बेचकर आमदनी में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने बताया कि यह किस्म में पीला मोजेक रोग प्रतिरोधी है. उन्होंने फल और सब्जियों में कीट रोग प्रबंधन के जैविक तरीके भी बताए. 


कार्यक्रम सहायक दिपा इंदौरिया ने प्रक्षेत्र दिवस में उपस्थित किसानों को सोयाबीन प्रसंस्करण करने के तरीके बताए और इनको दैनिक आहार में शामिल करने आव्ह्नान किया.  उन्होंने बताया कि इसमें प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है. कृषि विज्ञान केंद्र के गौरी शंकर सहित प्रगतिशील कृषक मनोहर सिंह मीणा, रामसिंह मीणा ने प्रक्षेत्र दिवस में उपस्थित सभी कृषकों एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया. 


Reporter- Deepak Vyas 


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