Bari Sadri News: एक्सप्लोरर ग्रुप के 12 सदस्यों ने हिमालय की तीखी सर्दी और बर्फबारी को सहन करते हुए ब्रह्मताल ट्रेक को पूर्ण किया. एक्स्प्लोरर दल के संस्थापक सुनील स्वामी के नेतृत्व में पांच दिवसीय हिमालय ट्रेकिंग में सभी 12 सदस्यों ने लोहाजंग बेसकैम्प से पैदल चलते हुए पहले दिन 8 किमी हिमालय की तीखी और धूलभरी पहाड़ियों की चढ़ाई करते हुए बेकलताल कैम्प साईट पहुंचे. 


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साथ ही रात्रि में हिमालयी की हाड़ कंपाने वाली तेज हवा में और स्नोफॉल में बुरांस और देवदार के जंगलों में टेंट लगाकर विश्राम किया. एक्सपीडिशन के अगले दिन 7 किमी चढ़ाई करते हुए बेकलताल से ब्रह्मताल कैम्पसाईट पर टेंट लगाकर रात्रि विश्राम किया. एक्सपीडिशन के तीसरे दिन दो सदस्यों की तबियत बिगड़ने के करना वापस लोटना पड़ा. तीसरे दिन सभी सदस्यों ने 8 किमी तेज हवा और बर्फ में खड़ी चढ़ाई करते हुए 12180 फीट ऊंची चोटी को माइनस-12 डिग्री तापमान में फतह किया. हिमालय अभियान के चौथे और पांचवे दिन डाल्डडम और लोहाजंग बेसकैम्प की घने जंगल और अत्यधिक तीखी हवा में वापसी की.


ब्रह्मताल जो हिमालय की लघुहिमालय पर्वत श्रेणी में स्थिति बेहद खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता और चैलेंजिंग मौसम के साथ कठोर भौगोलिक अवस्थिति को समेटे हुए हैं. कालीभीन्त से व्याख्याता सुनील स्वामी, चित्तौड़गढ़ बांसी में कार्यरत अध्यापिका शक्ति स्वामी सूरतगढ़ से व्याख्याता राकेश बिस्नोई, प्रधानाचार्य हरीश कुमार, मदन, विजय बिस्नोई, पंजाब से पुनीत बिस्नोई, भरतपुर से प्रोफेसर रणजीत शर्मा, अलवर से प्रधानाचार्य मुकेश शर्मा, बूंदी से दिनेश शर्मा, उदयपुर से तेज़पाल तुसवाड़ा आदि शामिल रहें. 12 सदस्यीय दल में एक नन्हा एक्स्प्लोरर 8 वर्षीय हैरंभ तुसवाड़ा पुत्र तेजपाल तुसवाड़ा भी रहा जो पूरे एक्सपीडिशन में ग्रुप और सभी ट्रैकर्स का मन कम उम्र में हिम्मत और पूरे समिट को बहादुरी से पूरा करते हुए मोहता रहा. 


साथ ही 5 दिवसीय एक्सपीडिशन में अलग-अलग लोकेशनस पर हिमालय की वनस्पतियों, जलवायु, जीवों और लोकल संस्कृति का निरीक्षण किया. दल के लोकल गाइड आशीष ने सभी सदस्यों को हिमालय की भौगोलिक स्थिति अवस्थिति और मनवा द्वारा किए जा रहे प्रयावर्णीय नुकसान के बारे में जानकारी दी. एक्स्प्लोरर ग्रुप के संस्थापक सुनील स्वामी ने बताया की वर्तमान में सबका रूखान लक्जरी जीवन की तरफ बढ़ रहा है. हमारा जीवन बाज़ारवाद व उपभोक्तावाद की तरफ बढ़ रहा है. एसे में पहाड़ों की चढ़ाई करना प्रकृति में समय बिताना पर्यावर्णीय और शारीरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं.


Reporter: Deepak Vyas


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