Kapasan: मेवाड़ आध्यात्म क्षेत्र में अपना अनूठा स्थान रखता है. जहां लोक देवी-देवताओं की अनूठी महत्ता है. आज हम आपको एक ऐसे ही लोक देवता से परिचय करवाते हैं, जहां श्रद्वालु पाती के माध्यम से काम होने या नहीं होने का सीधा आदेश मिलता है.


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भदेसर रियासत काल से ही आध्यात्म का केंद्र रहा है, जहां तालाब की पाल के पास स्थित एक बावड़ी पर भदेसर भैरू का स्थान बना हुआ है. यहां हजारों श्रद्वालु रोज अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं और मन्नत पुरी होगी या नहीं होगी, इस बात का जवाब हाथों हाथ लेते हैं.


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श्रद्वालु एक कागज की पर्ची पर अपने काम को लिख कर काम होगा या नहीं होगा, करें या ना करें, की दो पर्चियां बना कर भैरूजी के पाट पर रखते हैं. जिस पर भैरू जी के जिस पर्ची पर भैरूजी के मुकुट पर सजा रखी गुलाब की पंखुड़ियों से पत्ती गिर जाती है. इस पर्ची पर जो भी लिखा होगा, वह श्रद्वालु मानते हैं. यहा तक की बच्चों की सगाई को लेकर भी माता-पिता भैरूजी से पाती मांगते हैं.


भदेसर भैरू जी के मन्दिर पर यूं तो हर दिन भक्त जाते हैं पर शनिवार और रविवार को यहां भक्तों की खासी भीड़ लगी रहती है. प्रदेश में जितने भी भैरूजी के मन्दिर हैं, इन सब की मुख्य शाखा भदेसर में ही है. यहां मनोकामना पुरी होने पर श्रद्वालु चावल और चूरमे का भोग (कांसा) लगाते हैं.


Reporter- Deepak Vyas


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