Churu News: आज हम इस रिपोर्ट के माध्यम से ऐसे बच्चों के बारे में बताते हैं जो नहीं बोल सकते हैं और नहीं सुन सकते हैं और इनमें कुछ ऐसे बच्चे हैं जो कि देखने मे बहु अशक्षम है. लेकिन सीखने की जिजीविषा इतनी की सामान्य बच्चे उनसे कहीं पीछे हैं. आपके इशारों से यह सब कुछ समझ लेते हैं. राज्य सरकार द्वारा इन मूकबाधिर और दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है और यह सरकार का प्रयास इन बच्चों को देख कर रंग लाता हुआ नज़र भी आ रहा है. बच्चों में उत्साह है तो अभिभावक भी उत्साह से लवरेज है.


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ऐसे बच्चे जिनको कुछ सुनाई नहीं देता, बोल नहीं सकते, कुछ दिखाई नहीं देता उनके लिए चूरू के बीदासर में दस दिनों का प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है. सुजानगढ़, रतनगढ़ और बीदासर के तीन ब्लॉकों का जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा चूरू के निर्देश पर बीदासर में समावेशी शिक्षा के तहत श्रवण और दृष्टिबाधित बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया है.


मास्टर ट्रेनर महावीर सिंह ने बताया कि इस शिविर ऐसे बच्चे हैं जिनको सुनाई नहीं देता, जो बोलने में असमर्थ हैं, नजर काम नहीं कर रही ऐसे 18 बच्चों को हमारे द्वारा दस दिनों तक प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को दिखाई नहीं देता है उनको 6 बिंदु पर आधारित ब्रेललिपि के द्वारा पढ़ाया लिखाया जाता है, साथ ही संकेत के माध्यम से अल्फाबेट, फ्रूट आदि के बारे में जानकारी दी जाती है.


ट्रेनर करिश्मा ने कहा कि बच्चों को साल के सभी महीनों, साप्ताहिक ज्ञान, खेल खेल में पढ़ाई और रंगोली, चित्र, पेंटिग का ज्ञान दिया गया है. राजलदेसर से आये बच्चों के साथ अभिभावक का कहना है कि इस शिविर में मेरे दो बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं. पहले तो बच्चों को किसी सामान वस्तुओं के बारे में पता नहीं था यहाँ पर इनको प्रशिक्षण के माध्यम से समझाया गया है इससे बच्चों को बड़ा लाभ पहुंचा रहा है. राज्य सरकार द्वारा ऐसे बच्चों के जीवन में उजियारा करने का यह अच्छा प्रयास है.