Churu latest News: राजस्थान के चूरू जिले में शारदीय नवरात्रि के बीच शक्ति स्वरूप मां दुर्गा की बड़ी धूमधाम से पूजा-अर्चना का सिलसिला जारी है और माता रानी को मनाने के लिए जगह-जगह बड़े धार्मिक आयोजन और अनुष्ठानों के साथ डांडिया महोत्सव के आयोजन हो रहे हैं. इसी बीच चूहों वाली माता के नाम से जग विख्यात करणी माता का अवतरण दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. 


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दूसरा देशनोक के नाम से जाना जाने वाला चूरू जिले का छो‍टड़िया गांव में स्थित करणीधाम में भी 9 दिवसीय कार्यक्रम के तहत आज मां करणी जी की शोभायात्रा निकाली जा रही है. जिले के रतनगढ़ तहसील से करीब 20 किलोमीटर दूर छोटड़िया गांव में स्थित करणी माता मंदिर पर करणी माता की विशेष कृपा का वृत्तांत है. इसकी वजह भी खास है, इसी गांव में करणी माता की छोटी बहन गुलाब बाईसा की पौत्री सांपू का ससुराल था. 


 



सांपू का विवाह भी इस गांव में करणी माता ने ही जीवराज के साथ करवाया था. छोटड़िया गांव का करणी माता मंदिर की मान्यता है कि आठ पहर में से एक पहर करणी माता ने इस गांव में आने का वादा किया था. इसके पीछे मान्यता यह है कि पौत्री सांपू ने करणी माता से कहा था कि उसका ससुराल बहुत दूर है, जिसके कारण उसका माता से मिलना कम होगा पाएगा. 


 



तब करणी माता ने सांपू से कहा कि मैं आठ पहर में से सात पहर देशनोक (बीकानेर) रहूंगी, तो एक पहर छोटड़िया, यही नहीं इस गांव से करणी मां की कई यादें जुड़ी हुई हैं. यहां नवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना की जा रही है. साथ ही छोटड़िया को दूसरा देशनोक भी कहते हैं. करनेजड़ी वृक्ष खेजड़ी का वृक्ष है. जहां पर करणी माता ने पहली बार इस गांव में पौत्री सांपू से मिलने आने पर विश्राम किया था. यह करणी मंदिर से 100 मीटर पश्चिम में है.


 



किरणीया वृक्ष भी एक खेजड़ी का वृक्ष है, जो कि करणी मंदिर में ही है. बताया जाता है कि बादशाह हुमायूं के छोटे भाई कामरान जब भटनेर युद्ध में बीकानेर के शासक जैत सिंह से युद्ध में हार गए थे. तब इस मंदिर में आकर अपनी जान बचाने की गुहार लगाई थी, जिससे कामरान को जीवनदान मिला.


 



मान्यता है कि श्रद्धालुओं द्वारा किसी मनोकामना के पूर्ण होने पर या किसी अन्य कारण से देशनोक (बीकानेर) के लिए बोली गई जात छोटड़िया के मंदिर में भी पूरी हो सकती है, लेकिन छोटड़िया की जात देने के लिए यहीं आना होता है. गांव में करणी माता की आराध्य देवी आवड़ माता का मंदिर भी है. इस मंदिर की स्थापना भी करणी माता के कहने पर ही की गई थी. 


 



साथ ही उसके पास में एक मीठे पानी का कुआं भी करणी माता के कहने पर ही बनाया गया था. मंदिर भी देशनोक के मंदिर सा मौजूदा मंदिर का भवन भी देशनोक के करणी माता मंदिर से मिलता-जुलता ही है. देशनोक में करणी माता के जन्मदिवस पर जैसी शोभायात्रा निकाली जाती है, वैसी ही शोभायात्रा पिछले 15 वर्ष से यहां भी निकाली जा रही है.