Rajasthan News : राजस्थान में चूरू की सरदारशहर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अनील शर्मा ( Anil sharma congress ) को एकतरफा जीत मिली है. शर्मा ने बीजेपी के अशोक पिंचा को 26 हजार 696 वोटों से हराया. लेकिन इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लिए ये परिणाम अच्छे संकेत नहीं है. हनुमान बेनीवाल ( Hanuman beniwal ) ने इस सीट को जीतने में पूरी ताकत लगा दी थी. जाट कैंडिडेट का दांव खेलकर एक बड़े वोटबैंक अपने साथ किया. साथ ही देवीसिंह भाटी ( Devisingh bhati ) जैसे बीजेपी नेताओं ने भी उनको समर्थन किया. कितनी ताकत झौंकी इसका अनुमान इस बात से लगा सकते है कि एक ही विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए उन्हौने हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 से पहले ये चुनाव भाजपा या कांग्रेस के लिए जितना महत्वपूर्ण था. उससे कहीं ज्यादा आरएलपी के लिए था. अगर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ये चुनाव जीत जाती. तो 2023 के विधानसभा चुनाव में मारवाड़ के साथ साथ पूरे शेखावाटी बेल्ट में वो कांग्रेस बीजेपी के नाक में दम कर सकती थी. पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होता. युवाओं में हनुमान बेनीवाल का क्रेज बढ़ता. लेकिन चुनावों में हार से कार्यकर्ताओं का निराश होना लाजिम है.


2023 पर बेनीवाल की नजरें


हनुमान बेनीवाल ने 2018 विधानसभा चुनावों से ठीक पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन किया था. 60 के करीब सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 3 सीटों पर कामयाबी मिली थी. इसके अलावा बाड़मेर, जोधपुर और नागौर जिलों में पार्टी ने अच्छे खासे वोट हासिल किए. आरएलपी के टिकट पर जीतने वाले 3 विधायकों में खुद हनुमान बेनीवाल भी शामिल थे. बाद में लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ. एनडीए कोटे से बेनीवाल नागौर सांसद बने. खाली हुई खींवसर विधानसभा सीट से उनके भाई नारायण बेनीवाल चुनाव लड़े और जीते.


ये भी पढ़ें-  राजस्थान के 2 बड़े नेताओं की गुजरात चुनाव और पंजाब में हुई परीक्षा, क्या रहा दोनों का परिणाम


हनुमान बेनीवाल की नजरें राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 पर है. दिल्ली और पंजाब में मिली आम आदमी पार्टी को जीत और AAP की राजस्थान ( Rajasthan ) में बढ़ती सक्रीयता के बीच हनुमान बेनीवाल ( Hanuman beniwal ) इस कोशिश में है. कि आम आदमी पार्टी अपना प्रभाव जनता में जमाए उससे पहले बेनीवाल खुद को तीसरे विकल्प के तौर पर स्थापित करना चाहते है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की कोशिश होगी कि वो अगर एक दर्जन से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब होते है तो किंगमेकर की भूमिका होंगे. राजस्थान सरकार उनकी मदद के बिना नहीं बनेगी. लेकिन इसी बीच चूरू ( Churu ) की सरदारशहर सीट से उपचुनाव में हारना बेनीवाल और समर्थकों में निराशा पैदा कर सकता है.