विदेशी लोगों के दिलों पर राज कर रही सुजानगढ़ के युवा चित्रकार शिव कुमार की पेंटिंग्स
रंगों का जादू कूची की सहायता से कैनवास पर उतारने वाले छोटे से कस्बे बीदासर के शिव कुमार ने अपनी पेंटिंग के जरिए बचपन को उकेरा है.
Sujangarh: रंगों का जादू कूची की सहायता से कैनवास पर उतारने वाले छोटे से कस्बे बीदासर के शिव कुमार ने अपनी पेंटिंग के जरिए बचपन को उकेरा है. शिव कुमार की पेंटिंग देश में ही नहीं विदेशों में भी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.
शिव कुमार का कहना है कि बचपन मनुष्य का सबसे बेहतरीन जीवन का काल होता है. उसी को मैंने कैनवास पर उतारकर के बचपन को जीने की कोशिश की है. हर एक पेंटिंग में बचपन के क्रियाकलापों को दिखाया गया है कि किस तरह से अल्हड़ बचपन किसी प्रकार की चिंता फिक्र से दूर अपनी ही दुनिया में मस्त रहता है. यही कोशिश की गई है.
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बात करते हैं एक ऐसे चित्रकार की जिसकी कला को देखकर हर कोई अपने बचपन की यादों में खो जाता है. बीदासर के शिव कुमार सोनी एक युवा चित्रकार हैं. बचपन से ही चित्रकला के प्रति इनका रुझान बहुत ज्यादा था और चित्रकला के फील्ड में ही आगे काम करना चाहते थे. इन्होंने अपने स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद जयपुर के एक प्रतिष्ठित कला महाविद्यालय राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में प्रवेश लिया. राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट में इन्होंने चित्रकला का अध्ययन किया और वहां पर बैचलर ऑफ विजुअल आर्ट्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की.
बता दें कि शिवकुमार को बचपन से ही बचपन की चीजें पतंगें और प्राकृतिक चीजों से काफी लगाव था और इनका बचपन मुख्यता है छत के ऊपर ही बीता था. यह पूरे दिन भर के छत के ऊपर खेलते थे. पतंग उड़ाते थे, पेंटिंग बनाते थे. इनका पूरा बचपन इन्हीं गतिविधियों में बीता था. चित्रकला के प्रति अपने रुझान को देखते हुए इन्होंने एक चित्रकार बनने का सपना देखा और निरंतर चित्रकारी करने में अग्रसर थे. प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई करते वक्त भी शिवकुमार को चित्रकारी करना ही पसंद था. शिवकुमार को बचपन से इतना लगाव था कि उन्होंने कॉलेज की शिक्षा पूर्ण करने के बाद बचपन बचपन को ही अपने चित्रकला का मुख्य विषय बनाया और बचपन के खेलकूद, सपने, भावनाएं, और बचपन के खूबसूरत पलों को अपनी पेंटिंग्स में बनाना पसंद करते हैं.
क्या कहते हैं शिव कुमार
शिव कुमार कहते हैं कि बचपन एक खजाने की तरह होता है बचपन बीत जाने के बाद हम उसे पूरे जीवन भर याद करते हैं. मेरे पेंटिंग्स के अंदर में बचपन को दर्शाता हूं. बचपन की वह सभी चीजें जो मैंने देखी और महसूस की. बचपन की कल्पनाएं, सपने, भाव और वह खूबसूरत पल जैसे कि बारिश में नहाना और खुद को बादलों के ऊपर बैठा हुआ महसूस करना, पतंग उड़ाना जैसी बहुत ही बेहतरीन चीजों से मैं बहुत ज्यादा प्रभावित हूं. इन सबको अपनी पेंटिंग्स में दिखाता हूं. बचपन के खिलौने जैसे पतंग, पक्षी, बैलून आदि बहुत ही खूबसूरत चीजें को देखकर हर किसी को भी अपने बचपन की याद आ जाती है. मुझे बहुत खुशी होती है, जब दर्शक मेरी कलाकृतियों के सामने खड़े होते ही अपने बचपन की यादों में खो जाते हैं.
बचपन की यादों में सराबोर कर देती कलाकृतियां
मेरे कलाकृतियां दर्शकों को उनके बचपन की यादों में सराबोर कर देती है, बचपन की सभी चीजें मैं अपने पेंटिंग्स में एक काल्पनिक चरित्र जिसका मैंने ‘पप्पी’ नाम रखा है, उसके द्वारा में बचपन की यह सभी चीजें अपने पेंटिंग्स में दिखाता हूं. यह चरित्र मैंने इमेजिन किया है और यह है मेरे स्वयं के छायाचित्र जैसा लगता है.
इस दौरान शिव कुमार ने बताया कि पेंटिंग में इस्तेमाल होने वाले कलर की अगर अपन बात करें तो मेरे पेंटिंग्स में एक्रिलिक रंग काम में लेता हूं और इनको एक जल रंग की भांति अपने कैनवास पर लगाता हूं, जिससे कि एक ताजगी का प्रभाव आता है. मेरे चित्रों की कला प्रदर्शनी देश के कई महानगरों मुंबई बेंगलुरु दिल्ली गुडगांव जयपुर आदि मैं प्रदर्शित की जा चुकी है, जिनमें मेरी कलाकृतियों को काफी प्रोत्साहन मिली और कई कला प्रेमियों ने मेरी कलाकृतियों को पसंद किया और खरीदा.
क्या कहना है दर्शकों का
ज्यादातर दर्शक बताते हैं कि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में बचपन कहीं खो सा गया है और शिव कुमार की पेंटिंग देखते ही अपने बचपन की यादें फिर से ताजा हो जाती हैं.
शिव कुमार की पेंटिंग्स कई नामचीन कंपनियों के मालिकों ने और कई बड़े कला प्रेमियों ने खरीदी है, भारत के अलावा अमेरिका, चाइना, जापान, हांगकांग, कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, ताइवान, सिंगापुर सहित कई देशों में भी शिव की कलाकृतियों को कला प्रेमियों ने खरीदा और सराहना की है.
Reporter - Gopal Kanwar
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