Dausa: लालसोट में 8 हजार प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ मोरेल बांध, पक्षी प्रेमी खुश
राजस्थान में दौसा और सवाई माधोपुर जिले के बॉर्डर पर मिट्टी से बना एशिया का सबसे बड़ा कच्चा मोरेल बांध प्रवासी पक्षियों का बसेरा बना हुआ है. बांध पर अब तक 60 प्रकार की प्रजातियों के करीब 8000 पक्षी डेरा जमाए हुए हैं.
Lalsot Dausa News: दौसा और सवाई माधोपुर जिले के बॉर्डर पर मिट्टी से बना एशिया का सबसे बड़ा कच्चा मोरेल बांध प्रवासी पक्षियों का बसेरा बना हुआ है. बांध पर अब तक 60 प्रकार की प्रजातियों के करीब 8000 पक्षी डेरा जमाए हुए हैं.
पर्यावरण विदों की मानें तो दिसंबर माह तक यहां 200 प्रकार के 30,000 विदेशी पक्षियों की तादाद पहुंचने की उम्मीद है. जैव विविधता और प्रवासी पक्षियों पर शोध कार्य कर रहे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुभाष पहाड़िया ने दौसा और सवाई माधोपुर कलेक्टर और भरतपुर संभागीय आयुक्त से मोरेल बांध पर आने वाले प्रवासी पक्षियों और दूसरे अन्य वन्यजीवों के हितों को देखते हुए बांध में 8 फीट पानी रिजर्व रखने की मांग भी की है.
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मोरेल बांध का पानी दौसा के लालसोट क्षेत्र सहित सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों की हजारों बीघा जमीन के सिंचाई के काम आता है, ऐसे में पक्षी प्रेमियों ने सरकार से मांग की है विदेशी पक्षियों की शरण स्थली बना मोरेल बांध में 8 फीट पानी रिजर्व रखा जाए, जिससे प्रवासी पक्षियों का यहां बसेरा बना रहे. पिछले 4 साल से मोरेल बांध की जैव विविधता और प्रवासी पक्षियों पर शोध कार्य कर रहे लालसोट की राजेश पायलट राजकीय महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सुभाष पहाड़िया का कहना है.
सर्दी शुरू होते ही मोरेल बांध पर विदेशी पक्षियों का भी आना शुरू हो जाता है अब तक यहां 60 प्रकार की प्रजातियों के करीब 8000 पक्षी पहुंच चुके हैं और दिसंबर माह तक 200 तरह की प्रजातियों के करीब 30000 पक्षियों के यहां पहुंचने की संभावना है. ऐसे में दौसा और सवाई माधोपुर जिला प्रशासन द्वारा पक्षियों का यहां डेरा जमा रहे, इसके लिए उनके अनुकूल उपाय करने चाहिए.
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क्या कहना है पक्षी विद डॉक्टर सुभाष पहाड़िया का
पक्षी विद डॉक्टर सुभाष पहाड़िया का कहना है कि पक्षियों का यहां आना वातावरण को लेकर अच्छे संकेत हैं. ऐसे में राज्य सरकार को पक्षी प्रेमियों का ख्याल रखते हुए इस क्षेत्र को पक्षियों के लिए विकसित करना चाहिए ताकि 12 माह यहां अलग-अलग तरह के पक्षियों का जमावड़ा बना रहे अधिक और अलग-अलग प्रजाति के पक्षी यहां रहेंगे तो पर्यटक स्थल भी विकसित हो सकेगा. ऐसे में पक्षी प्रेमियों को भांति भांति के पक्षी यहां देखने को मिलेंगे.
पक्षी प्रेमी हो रहे मायूस
मोरेल बांध में जमीन का डूब क्षेत्र 3870 हेक्टेयर है, जिसमें 2707 एमसीएफटी मिलियन क्यूबिक फीट पानी की भराव क्षमता है यानी 30 फीट 6 इंच है जबकि इस समय बांध में 24.8 फीट पानी का भराव है बांध के लगते दौसा और सवाई माधोपुर जिले के गांव में रबी की फसल सिंचाई के लिए नहरों के माध्यम से पानी छोड़ा जा रहा है. बांध से पानी छोड़ने से किसान खुशी व्यक्त कर रहे हैं. वहीं, पक्षी प्रेमी मायूस भी हो रहे हैं.
क्या बोले पक्षी प्रेमी
पक्षी प्रेमियों का कहना है कि सिंचाई के लिए पानी दिया जाए, उन्हें कोई आपत्ति नहीं लेकिन प्रवासी पक्षियों की तादाद को देखते हुए बांध में 8 फिट पानी रिजर्व रखा जाए. पक्षियों को बांध पर हमेशा पानी मिलेगा तो यहां उनका हमेशा के लिए बसेरा बन सकता है और यह क्षेत्र पर्यटन स्थली के रूप में विकसित हो सकेगा.
Reporter- Laxmi Avtar Sharma