Dausa: आपने फिल्मों में कानून अंधा होता है, यह सुना भी होगा और देखा भी होगा. लेकिन यूपी पुलिस की कार्यशैली ने इसे सत्य साबित कर दिया. मामला एक युवती से जुड़ा हुआ है, जहां युवती के जीवित होने के बावजूद भी पुलिस ने दो युवकों को उसकी हत्या का आरोपी मानते हुए उन्हें सलाखों के पीछे धकेल दिया. जहां से एक युवक 9 माह बाद तो दूसरा युवक 18 माह बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत के बाद जेल से बाहर आए.


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मामला 2015 का है, दोनों युवक यूपी पुलिस को चीख-चीख कर कहते रहे उन्होंने युवती को नहीं मारा, लेकिन उसके बावजूद भी यूपी पुलिस ने उन्हें जमकर यातनाएं दी. हत्या का आरोपी बना दिया. जमानत पर बहार आने के बाद से ही दोनों युवक-युवती की तलाश करते रहे और उन्हें सफलता भी मिली. इस काम में दौसा की मेहंदीपुर बालाजी थाना पुलिस ने दोनों युवकों की मदद की.


दरअसल दौसा जिले के मंडावर थाना क्षेत्र के रसीदपुर गांव निवासी सोनू सैनी मेहंदीपुर बालाजी में गोपाल सैनी की दुकान पर काम करता था, जहां यूपी के मथुरा जिले की निवासी आरती अपने पिता के साथ मेहंदीपुर बालाजी दर्शन करने के लिए आई थी.


इसी दौरान आरती और सोनू सैनी की जान पहचान हुई और दोनों में अफेयर हो गया. आरती उसके बाद अपने पिता के साथ वापस चली गई.  20 दिन बाद अकेली मेहंदीपुर बालाजी पहुंची और सोनू सैनी से अपने प्यार का इजहार किया.  बांदीकुई जाकर दोनों ने 8 सितम्बर 2015 को कोर्ट मैरिज कर ली कोर्ट मैरिज के बाद सोनू आरती को लेकर अपने गांव रशीदपुर चला गया जहां आरती के साथ रहने लगा.


पीड़ित युवक सोनू सैनी ने बताया शादी के बाद गांव पहुंचने पर आरती ने उसके सामने मांग रख दी कहा उसकी जमीन जायदाद मेरे नाम करवाओ साथ ही  50000 रुपए नगद और फोर व्हीलर गाड़ी दो. सोनू ने आरती को यह सब देने से मना कर दिया,


तो आरती शादी के 8 दिन बाद ही बिना बताए गायब हो गई. जिसे सोनू ने अपने स्तर पर दौसा, जयपुर, भरतपुर, अलवर सहित कई जगहों पर तलाश किया. लेकिन आरती का कोई सुराग नहीं लगा. इसके बाद वह फिर से मेहंदीपुर बालाजी आकर मजदूरी करने लग गया.


आरती के लापता होने के बाद उसके पिता सूरज प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के वृंदावन कोतवाली थाने में 25 सितंबर 2015 को गुमशुदगी दर्ज करवाई. जिसमें सोनू सैनी निवासी रसीदपुर और गोपाल सैनी निवासी उदयपुरा अरविंद पाठक निवासी अलवर के नाम का जिक्र किया.


पुलिस को अरविंद पाठक तो नहीं मिला, लेकिन सोनू और गोपाल दोनों मिल गए. वहीं, इसी दौरान वृंदावन कोतवाली पुलिस को मथुरा जिले के नहरी क्षेत्र में एक 35 वर्षीय अज्ञात महिला का शव मिला. पुलिस ने उस शव की आरती के पिता से पहचान करवाई. इसके करीब 6 माह बाद आरती के पिता सूरज प्रकाश ने सोनू सहित कई लोगों पर आरती की हत्या कर शव फेंकने का आरोप लगाते हुए 17 मार्च 2016 को एफआईआर दर्ज करवाई.


इसके बाद वृंदावन कोतवाली पुलिस ने दौसा के मेहंदीपुर बालाजी पहुंचकर पीड़ित युवक सोनू सैनी वह दुकानदार गोपाल सैनी को गिरफ्तार कर लिया. आरती की हत्या का आरोपी मानते हुए वृंदावन पुलिस ने 302 की चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी .


इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद सोनू और गोपाल सैनी ने आरती की तलाश शुरू की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इसी दौरान कुछ दिन पूर्व एक युवक ने उन्हें बताया कि बालाजी थाना क्षेत्र के विशाला गांव में एक महिला एक परिवार के साथ रह रही है, तो दोनों युवकों ने विशाला गांव पहुंचकर जांच परख की तो आरती ही निकली. 


उन्होंने इस काम में दौसा के मेहंदीपुर बालाजी थाना अधिकारी अजीत बड़सरा की मदद ली. उन्हें पूरी कहानी बताई. थानाधिकारी ने पूरे मामले से दौसा एसपी संजीव नैन को अवगत करवाया. संजीव नैन ने यूपी के मथुरा एसपी से संपर्क साधा.


जिसके बाद मथुरा एसपी ने पूरे मामले की तस्दीक के लिए एसटीएफ की टीम को मेहंदीपुर बालाजी के लिए रवाना किया. मथुरा एसटीएफ के इंचार्ज अजय कौशल के नेतृत्व में मेहंदीपुर बालाजी पहुंची टीम ने आरती के जीवित होने के प्रमाण के लिए टीम के एक सदस्य को पुष्टि के लिए विशाला गांव भेजा. पुष्टि होने के बाद एसटीएफ ने आरती को हिरासत में ले लिया. मथुरा के लिए रवाना हो गई.


पीड़ित युवक सोनू सैनी और गोपाल सैनी मदद के लिए दौसा के मेहंदीपुर बालाजी थाना अधिकारी अजीत बड़सरा और एसपी संजीव नैन का आभार जता रहे हैं, हालांकि फिलहाल दोनों पर हत्या का प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है.


Reporter-Laxmi Sharma


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