Dausa: पूर्वी राजस्थान पानी के भीषण संकट से गुजर रहा है लेकिन पूर्वी राजस्थान की ERCP योजना सियासतदानों की सियासत में फंसी हुई है. पूर्वी राजस्थान की जनता ने विधानसभा ओर लोकसभा चुनावों में ERCP को ध्यान में रखते हुए सियासतदानों को सियासत इसलिए सौपी थी कि इस बार उन्हें पानी के संकट से हमेशा हमेशा के लिये छुटकारा मिलेगा लेकिन विडंबना इस बात की है कि योजना पर काम शुरू होना तो दूर की बात अभी योजना को मंजूरी तक नहीं मिली.


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चुनावों के दौरान भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने ईआरसीपी योजना की मंजूरी के लिए जनता को भरोसा देते हुए वोट मांगे और जनता ने अपना काम भी किया लेकिन उसके बावजूद भी लोगों की उम्मीद पूरी नहीं हुई. नेता अभी भी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हुए इतिश्री कर रहे हैं. सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा भी पूर्वी राजस्थान की पानी की समस्या का समाधान हो, इसको लेकर वो भी पिछले 35 साल से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें भी सफलता नहीं मिली.


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अब सांसद किरोड़ीलाल मीणा ईआरसीपी योजना को लेकर फिर से दौसा जिले के नांगल प्यारिवास में राजस्थान सरकार के खिलाफ जंग ए एलान करने की बात कह रहे हैं. मीणा हाईकोर्ट के नाम से प्रसिद्ध धरती पर सांसद किरोड़ीलाल मीणा दस जुलाई को एक बड़ी महासभा करने जा रहे हैं, जिसमें दो लाख लोगों को एकत्रित होने का दावा भी किया जा रहा है. दस जुलाई को नांगल प्यारिवास में ईआरसीपी को लेकर होनी वाली महासभा में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य वक्ता होंगे.


क्या कहना है सांसद किरोड़ीलाल मीणा का 
सांसद किरोड़ीलाल मीणा का कहना है कि हम चाहते हैं कि पूर्वी राजस्थान की ईआरसीपी योजना राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो लेकिन राजस्थान सरकार और उनके मंत्री इस पर अनर्गल बयानबाजी कर जनता को गुमराह कर रहे हैं जबकि प्रदेश की सरकार की कमी के चलते योजना अटकी हुई है.


राजस्थान सरकार 75 प्रतिशत वाटर डिपेंडिबिलिटी ओर मध्यप्रदेश सरकार का सहमति पत्र केंद्र सरकार को भेजे तो राष्ट्रीय परियोजना घोषित होने में देर नही लगेगी लेकिन सीएम ओर उनके मंत्री बयानबाजी कर केवल गाल बजा कर पूर्वी राजस्थान की जनता को भृमित कर भले बनने का ढोंग कर रहे हैं, जो सीधा जनता के साथ बड़ा धोखा है.


योजना में डीपीआर में भी बड़ी खामी 
वहीं, किरोड़ीलाल मीणा ने कहा इस योजना में डीपीआर में भी बड़ी खामी है. दौसा जिले के सभी बांधों ओर तालाबों को वंचित रखा गया है. केवल मोरेल बांध को इसमें जोड़ा गया है, जिसका जिले की जनता को कोई लाभ नहीं होगा. ऐसे में दौसा सहित अलवर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, करौली टोंक और जयपुर जिले के वंचित बांधो को भी जोड़ा जाए.


Reporter- LAXMI AVATAR SHARMA


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