Mehandipur Balaji news :रहस्यों से भरा है ये मंदिर,भूत-प्रेत बाधाओं से मिलती है मुक्ति
Mehandipur balaji :विज्ञान भूत-प्रेतों को नहीं मानता है,लेकिन यहां हर दिन दूर-दराज से ऊपरी चक्कर और प्रेत बाधा से परेशान लोग मुक्ति के लिए आते हैं.यह दुनियाभर में लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं.
Mehandipur Balaji :भारत अपने ऐतिहासिक मंदिरों के लिए जाना जाता है. इन मंदिरों से लोगो की आस्था जुड़ी हुई है.भारत के मंदिर अपनी गाथा, रहस्य, चमत्कार और महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं.मंदिरों से तो ऐसी कई रोचक कहानियां और चमत्कार जुड़े हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
आज इन्ही मंदिरों में से एक मंदिर जो अपने रहस्य, चमत्कार लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. राजस्थान के दौसा जिले के नजदीक दो पहाड़ियों के बीच यह मंदिर है.यह मंदिर मेहंदीपुर बालाजी के नाम से प्रसिध्द है.
मंदिर की विशेषता
विज्ञान भूत-प्रेतों को नहीं मानता है,लेकिन यहां हर दिन दूर-दराज से ऊपरी चक्कर और प्रेत बाधा से परेशान लोग मुक्ति के लिए आते हैं.इस मंदिर का नाम भगवान हनुमान के नाम पर रखा गया है, लेकिन इसमें दो अन्य देवता, श्री प्रेतराज सरकार और श्री भैरव देव भी स्थापित हैं.यह दुनियाभर में लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं.
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प्रसाद मे रहस्य
हम जब भी किसी मंदिर जाते है तो वहां से हम प्रसाद लेकर घर जाते है.लेकिन मेहंदीपुर बालाजी ऐसा मंदिर है, जहां आप किसी भी तरह के प्रसाद को ना ही खा सकते हैं और ना ही अपने साथ घर लेकर जा सकते हैं.यहां तीनों देवताओं के अलग अलग प्रकार के प्रसाद हैं और उनकी पूजा अर्चना भी भिन्न तरीके से की जाती है.यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को ऊड़द का भोग चढ़ता है.
यहां न तो आप प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं, न ही किसी को दे सकते हैं और इतना ही नहीं आप इसे घर भी नहीं ले जा सकते हैं. जो व्यक्ति इस नियम का पालन नहीं करते प्रसाद या अन्य वस्तुओं को घर ले जाने की कोशिश करते हैं उनके ऊपर भूत प्रेत का साया मंडराने लगता है और व्यक्ति परेशान हो जाता है.
2 बजे कीर्तन का महत्व
इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा यानी की कोतवाल कप्तान की मूर्ति है.यहां हर रोज 2 बजे कीर्तन होता है. कीर्तन में जिन लोगों पर नकारात्मक साया या प्रेत बाधाओं का असर होता है उसे दूर किया जाता है.
बायीं छाती में है छेद
मेंहदीपुर बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा सा छेद है जिससे लगातार जल बहता रहता है.मान्यत है की यह जल बालाजी का पसीना है.बालाजी के ठीक सामने भगवान राम और माता सीता की भी प्रतिमा है. मूर्तियों के आमने-सामने होने का रहस्य यह है कि बालाजी हमेशा राम-सीता के दर्शन करते रहते हैं.
मेहंदीपुर बालाजी में आने वाले भक्तों को दर्शन के एक सप्ताह तक लहसुन, प्याज, मासांहार भोजन और मदिरा का सेवन बंद करना पड़ता है.
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