Dausa: मौत के बाद भी नहीं मिल रहा सुकून, अंतिम संस्कार के लिए पग-पग परीक्षा दे रहा शव

Dausa News: सनातन धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को बेहद ही पवित्र माना जाता है लेकिन जब मौत के बाद शव यात्रा के लिए नहीं हो, प्रॉपर रास्ता और ना ही शमशान के लिए भूमि आवंटित हो और अस्थाई जगह पर अंतिम संस्कार करना पड़े और इस बीच बारिश का दौर हो तो कैसे हो अंतिम संस्कार?

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मानवता को भी शर्मसार करती

ऐसी तस्वीर एक और जहां सिस्टम की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है तो वहीं मानवता को भी शर्मसार करती है. ऐसी ही तस्वीर सामने आई है महवा के कीर्ति नंगला गांव से, जहां गांव की एक महिला और एक पुरुष का निधन हुआ तो लोग अंतिम संस्कार के लिए उनकी शव यात्रा लेकर रवाना हुए लेकिन रास्तों में घुटनों तक पानी भरा हुआ था. उस बीच होकर लोग कैसे तैसे अस्थाई शमशान घाट तक पहुंचे तो मूसलाधार बारिश का दौर शुरू हो गया जहां कोई टीन शेड भी नहीं लगी हुई थी. 

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बमुश्किल अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हुई पूरी

ऐसे में लोगों ने प्लास्टिक का त्रिपाल लाकर बमुश्किल अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा किया. इसमें करीब 10 घंटे का समय लगा तब जाकर शवों का अंतिम संस्कार हो सका. 

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शमशान घाट को जाने वाले रास्ते अवरुद्ध

दौसा जिले की यह कोई पहली तस्वीर नहीं है. जिले में से ऐसे कई मामले पूर्व में भी आ चुके हैं, जहां या तो शमशान घाट की भूमि आवंटित नहीं है या फिर शमशान घाट को जाने वाले रास्ते अवरुद्ध हैं और शमशान घाट हैं तो वहां टीन शेड भी नहीं लगी हुई हैं. 

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सिस्टम का क्या फायदा

ऐसे में खुले आसमान के नीचे लोगों को अंतिम संस्कार करना पड़ता है लेकिन मुश्किल तब बढ़ती है. जब बारिश का दौरा जारी रहता है. मौत के बाद भी अगर सुकून से नहीं हो सके, अंतिम संस्कार तो फिर ऐसे सिस्टम का क्या फायदा?

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