Bandikui: राजस्थान में रेल नगरी के नाम से मशहूर दौसा के बांदीकुई में इलेक्ट्रिक लोको शेड बनाने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है. इसको लेकर क्षेत्र के लोगों ने रेल मंत्री को पत्र लिखा है. इलेक्ट्रिक लोको शैड़ की बांदीकुई में संभावनाएं इसलिए भी अधिक मानी जाती है कि यहां पूर्व में स्टीम लोको शेड और डीजल लोको शेड थे और बांदीकुई में इसके लिए जमीन और संसाधनों की भी प्रचुरता है इसको लेकर पिछले दिनो रेलवे ने भी मेमू लोको शेड का सर्वे कराया था, लेकिन अभी तक इसकों लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है.


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इलेक्ट्रिक शेड का चार जनों को मिल सकता है लाभ
बांदीकुई में यदि इलेक्ट्रिक शेड शुरू होता है तो इसका लाभ न केवल उत्तर पश्चिम रेलवे को मिलेगा बल्कि आसपास के करीब तीन से चार जोनों को भी इसका लाभ मिल सकेगा. दरअसल बांदीकुई देश की राजधानी दिल्ली और भारत का मैनचेस्टर अहमदाबाद से रेलवे मार्ग से सीधा जुड़ा हुआ है.


साथ ही दौसा गंगापुर सीटी रेलमार्ग शुरू होने पर इसका आर्थिक राजधानी मुंबई से भी जुड़ाव हो सकेगा. ऐसे में इलेक्ट्रिक लोको शेड बनने पर उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, पश्चिमी मध्य रेलवे जोनों को भी इसका फायदा मिल पाएगा. इलेक्ट्रिक शेड की संभावनाएं इसलिए भी ज्यादा मानी जा रही है. क्योंकि रेलवे के द्वारा आगामी दिनों में सभी रेलमार्गों को पुर्णतया विधुतीकरण किया जा रहा है. इससे भविष्य में अधिकांश रेलगाड़ियां इलेक्ट्रिक इंजन से ही संचालित होगी.


पहले थे स्टीम और डीजल शेड
बड़ी बात यह है कि ब्रिटिश कालीन रेल नगरी बांदीकुई में पूर्व में स्टीम और डीजल शेड स्थापित थे, लेकिन वर्ष 1993- 94 में यहां से लोको शैड़ को खत्म कर दिया गया. इससे यहां से कार्यरत हजारो कर्मचारीयों को दूसरे स्थानों पर जाना पड़ा. यदि बांदीकुई म़े इलेक्ट्रिक शेड शुरू होता है तो यहां इसमे करीब पन्द्रह सौ से दो हजार कर्मचारी काम करेंगे.


साथ ही बांदीकुई में रेलवे के पास उपलब्ध सैकड़ो बीघा जमीन का भी बहतर उपयोग हो सकेगा. इससे रेल नगरी बांदीकुई को भी फिर से नई पहचान मिल सकेगी. क्योंकि रेलवे जक्शन के प्लेटफार्म एक के पास बना शेड का भी उपयोग हो सकेगा. यदि यहां इलेक्ट्रिक शेड खुलता है तो रेलवे को इसमें ज्यादा संसाधन जुटाने की मशक्कत नहीं करनी पडे़गी.


Reporter: Laxmi Sharma