Mahwa: 12% आरक्षण की मांग को लेकर सैनी समाज का भरतपुर के अरोदा में आंदोलन जारी है. आंदोलनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर जाम लगाकर महापड़ाव डालने से हाइवे से गुजरने वाले वाहनों की मुश्किलें बढ़ने लगी है. हालांकि प्रशासन द्वारा दौसा के महवा से ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया है लेकिन भारी मालवाहक वाहन उन रास्तों से निकल नहीं पा रहे, ऐसे में बड़ी तादाद में महवा से लेकर मेहंदीपुर बालाजी मोड़ तक हाईवे किनारे और होटल और ढाबों पर वाहनों का जमावड़ा लगा हुआ है. हाईवे किनारे वाहनों के जमावड़े से सड़क हादसों की आशंका भी बढ़ने लगी है.


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सैनी समाज कुशवाहा शाक्य मौर्य और माली जातियों को साथ लेकर 12% आरक्षण की मांग पर अड़ा हुआ है. हालांकि सरकार के द्वारा आंदोलनकारियों को बातचीत के लिए न्योता भी दिया गया है लेकिन फिलहाल कोई बात नहीं बन पा रही. वहीं सरकार में मंत्री विश्वेंद्र सिंह पूर्व में सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए कह चुके हैं. बिना बातचीत के किसी भी समस्या का कोई समाधान नहीं होता है. ऐसे में सरकार आंदोलनकारियों से बातचीत के लिए तैयार है. साथ ही विश्वेंद्र सिंह ने आंदोलनकारियों को चेतावनी भी देते हुए कहा था कि सरकार सख्ती भी कर सकती है और निपटने के हर तरीके आते हैं लेकिन सरकार ऐसा नहीं चाहती.


सैनी समाज द्वारा आरक्षण की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन को अब प्रदेश के सैनी समाज द्वारा समर्थन मिलने लगा है. ऐसे में दौसा जिले के सिकंदरा में भी सोमवार को सैनी समाज ने बैठक आयोजित कर राजस्थान सरकार को आरक्षण की मांग पूरी करने का 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था. साथ ही चेतावनी भी दी थी कि अगर सरकार ने समय रहते उनकी मांग को पूरा नहीं किया तो दौसा जिले का सैनी समाज भी कोई बड़ा निर्णय लेते हुए आरक्षण आंदोलन में शामिल होगा. गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान सिकंदरा आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा था कि जहां पुलिस और आंदोलनकारी आमने-सामने हुए थे और बड़ी तादाद में गुर्जर समाज के लोग पुलिस की गोलियों का शिकार हुए थे.


गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद अब सैनी समाज आंदोलन की राह पर है, गुर्जर समाज द्वारा आरक्षण को लेकर एक ओर जहां रेल की पटरियां उखाड़ कर रेल यातायात जाम कर दिया था तो वहीं प्रदेश में राष्ट्रीय और राज्य सड़क मार्गों को भी जाम किया था, जिससे प्रदेश की रेल यातायात और सड़क यातायात व्यवस्था पूरी तरह बाधित हो गई थी. प्रदेश का सैनी समाज भी उसी तर्ज पर आंदोलन की राह पकड़ रहा है. राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 21 को जाम किया जा चुका है और आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आंदोलनकारियों द्वारा विशेष रणनीति भी तैयार की जा रही है.


एक बार फिर राजस्थान में आरक्षण की आग भड़कने लगी है, ऐसे में राज्य सरकार की भी मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. अब सवाल यह है कि सरकार आंदोलन को किस तरीके से खत्म करवाती है या फिर गुर्जर आरक्षण आंदोलन की तरह राजस्थान का चक्का जाम होगा. जब जब इस तरह के आंदोलन होते हैं तो उसका खामियाजा आमजन को भी भुगतना पड़ता है.


Reporter: Laxmi Sharma


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