धौलपुर महाविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन, आरामदायक जीवन शैली स्वास्थ्य के लिये खतरनाक : प्रो. एम.के. सिंह
Dholpur News: धौलपुर महाविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ जिसमें देश के नामचीन वैज्ञानिक और शिक्षाविद् ने अपना संबोधन दिया. एल.एन.आई.पी.ई. ग्वालियर से आए प्रोफेसर एम.के. सिंह ने कहा कि आरामदायक जीवन शैली को स्वास्थ्य के लिये खतरनाक है.
Dholpur News: धौलपुर में राजकीय महाविद्यालय धौलपुर एवं राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण ( National Chambal Sanctuary ) के संयुक्त तत्वाधान में पर्यावरण के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और रेस्ट्रोफिटिंग रणनीतियांघ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ संगोष्ठी के प्रथम दिवस में संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक सुनील शर्मा आई.ए.एस ( Sunil sharma ias) आयुक्त कॉलेज शिक्षा राजस्थान जयपुर ने अपनी उद्बोधन में धौलपुर की सांस्कृतिक एवं स्थापत्य कला की चर्चा करते हुये इसके बारे में विस्तार से प्रकाष डाला. उन्होंने कहा कि धौलपुर एक आध्यत्मिक नगरी है यहां मचकुण्ड, वनविहार, केसरबाग, निहाल टॉवर जैसे पुरातात्विक स्थल हैं जो अपनी विशिष्ठ पहचान रखते हैं.
वही सेमीनार की अध्यक्षता करते हुये महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन ने वर्तमान परिपेक्ष्य में पर्यावरण एवं मानवीय जीवन के अन्तर सम्बन्धों की चर्चा करते हुये महात्मा गांधी के विचारों को विस्तारपूर्वक बताया. आज का युग ई-व्हीकल्स का है अतः हमें पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिये ई-व्हीकल्स का प्रयोग करना चाहिये.
महाराजा सूरजमल बृज विष्वविद्यालय, भरतपुर के कुलपति प्रो. रमेश चन्द्रा ने वर्तमान शैक्षिक उन्नयन हेतु महाविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों के महत्व को बताते हुये कहा कि यह महाविद्यालय के विकास हेतु एक नवाचार है.
प्रो. सतीश कुमार राय, प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक एवं राजीव गांधी स्टडी सर्किल के राष्ट्रीय समन्वयक ने अपने वक्तव्य में बताया कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग हमें अपनी मूलभूत आवष्यकताओं की पूर्ति के लिये करना चाहिये न कि अपने स्वार्थ के लिये. उन्होंने संस्मरण में जल की महत्ता को बताते हुये उसके सीमित उपयोग के बारे में बताया. हमें अपने दैनिक जीवन में प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का उपयोग बेहद सावधानी पूर्वक करना चाहिये.
प्रो. एम.के. सिंह, एल.एन.आई.पी.ई. ग्वालियर ने अपने वक्तव्य में मानवीय जीवन के बीच खतरों के बारे में एक प्रारूप के माध्यम से अपनी बात रखी. उन्होंने आरामदायक जीवन शैली को स्वास्थ्य के लिये खतरनाक बताया तथा स्वस्थ रहने के लिये अनवरत् क्रियाषील बने रहने की आवष्यकता पर बल दिया.
डॉ. मुकेष कुमार ने अपने शोध व्याख्यान में पर्यावरण प्रदूषण के अन्तर्गत मोबाइल फोन के बिषय में चर्चा करते हुये कहा कि इससे निकलने वाले विकिरणों से हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव पडता है जिससे कैंसर, अस्थमा, ब्रेन-ट्यूमर, नपुंसकता जैसी बीमारियां होती हैं. इस अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के अन्तर्गत विभिन्न देषों से 10 शोध व्याख्यानों का प्रस्तुतिकरण ऑनलाईन के माध्यम से एवं 20 शोध व्याख्यानों का प्रस्तुतिकरण ऑफलाईन माध्यम से किया गया.
अन्त में संगोष्ठी के समन्वयक डॉ. मनोज कुमार सिंह एवं आयोजन सचिव डॉ. अनुज कुमार ने सभी शोध प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर आई.क्यू.ऐ.सी. के सदस्य तथा महाविद्यालय का समस्त स्टॉफ, विभिन्न प्रदेषों से आये विद्धान एवं शोध छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे.