चंबल के बीहड़ों में विराजते हैं भोलेनाथ, शिवलिंग 3 बार बदलता है रंग
Achleshwar Mahadev Temple : राजस्थान के धौलपुर में एक ऐसा शिवलिंग है जो तीन बार रंग बदलता है. भोलेनाथ के इस स्वरूप को देखने के लिए सावन में खासतौर पर भीड़ लगती है. जहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे के आस पास बना ये मंदिर कई रहस्यमयी शक्तियों को समेटे हुए है. जो यहां आने वाले भक्त महसूस करते हैं.
Achleshwar Mahadev Temple : राजस्थान के धौलपुर में एक ऐसा शिवलिंग है जो तीन बार रंग बदलता है. भोलेनाथ के इस स्वरूप को देखने के लिए सावन में खासतौर पर भीड़ लगती है. जहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे के आस पास बना ये मंदिर कई रहस्यमयी शक्तियों को समेटे हुए है. जो यहां आने वाले भक्त महसूस करते हैं.
राजस्थान के धौलपुर का अचलेश्वर महादेव मंदिर बहुत खास है. यहां शिवलिंग सुबह लाल, दोपहर में केसर और शाम को गेहुंआ दिखाई देता है. शोधकर्ता चाहे इसे सूर्य की किरणों से जोड़कर देखें. लेकिन यहां आने वाले भक्तों लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. 2500 साल पुराने इस पुराने मंदिर में नंदी जी की मूर्ति 5 धातुओं से मिलकर बनी है.
कहते है कि जब मुस्लिम आक्रमणकारी इस मंदिर पर हमला करने पहुंचे तो नंदी की मूर्ति ने उनके ऊपर हजारों मधुमक्खियों को छोड़ दिया था. मंदिर में शिवलिगं को स्वयंभू कहा गया है. एक बार कुछ लोगों ने शिवलिंग की गहराई को जानने के लिए इसके चारों तरफ खुदाई शुरू कर दी. लेकिन सभी घबरा गये क्योंकि ये गहराई कम नहीं हो रही थी. कुछ अभिलेखों के अनुसार, ये भी कहा जाता है कि ये मंदिर भगवान शिव के पैर के अंगूठे के निशान के आसपास बनाया गया है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां भोलेनाथ की विशेष कृपा मिल सकती है. कुंवारे लड़के लड़कियों को मन चाहा वर या वधु मिल सकते हैं. अगर किसी के विवाह में बाधा आ रही हो तो भी यहां की गयी प्रार्थना से हर परेशानी से मुक्ति मिल जाती है.
धौैलपुर के इस प्राचीन शिव मंदिर की तरह ही एक और मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर के आमेर में हैं जहां बाल श्रीकृष्ण का मुंडन हुआ था. खुद भगवान कृष्ण ने यहां आकर भगवान शिव की आराधना की थी. पढ़े इस मंदिर की पूरी कहानी