बीहड़ों में है रैना वाली माता का मंदिर, महिमा जान दर्शन को करेगा मन
जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में राजाखेड़ा तहसील के गांव मरैना के पास चंबल नदी के घने और वीरान बीहड़ों के बीच रैना वाली माता का मंदिर स्थित है. जिसके आसपास तीन किलोमीटर दूर तक आबादी फैली हुई है.
Dholpur: जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में राजाखेड़ा तहसील के गांव मरैना के पास चंबल नदी के घने और वीरान बीहड़ों के बीच रैना वाली माता का मंदिर स्थित है. जिसके आसपास तीन किलोमीटर दूर तक आबादी फैली हुई है. इस स्थ
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कुंत भोज की पुत्री का नाम कुंती था. जो कृष्ण की बुआ थी. दुर्वासा ऋषि के प्रसाद स्वरूप कुंती किसी भी देवता का आव्हान कर पर उसे बुला सकती थी. इसी के चलते उन्होंने अपनी कोख में बच्चे को बिना शादी जन्म दिया था. समाज के डर से इसी स्थल पर आसन नदी में कुंती ने स्वर्ण मंजूषा में दानवीर कर्ण को पानी में बहा दिया था और इस स्थान को देखने से पांच हजार वर्ष पूर्व महाभारत कालीन युग की कथाएं एवं घटनाए साकार नजर आती हैं. आसन नदी के किनारे बसा यह साम्राज्य आज भी सुरक्षित है.
इसी स्थान पर मां रैना वाली की एक आकर्षक प्रतिमा आज भी विद्यमान है. पांडवों की मां कुंती की यह अराध्य देवी थीं और महर्षि दुर्वासा ने यहां तपस्या की और कुंती की सेवा भावना से उसे आर्शीवाद एवं वरदान प्रदान किये.
खुले आसमान में ही रहती है मां
यहां माता के दो स्थान हैं. एक घने बीहड़ों में दूसरा स्थान रैना गांव में है और दोनों स्थानों पर मां पीलू के पेड़ के नीचे विराजमान हैं. पुरानी कथाओं के अनुसार, भक्तों ने माता के लिए भव्य मंदिर बनवाये है. लेकिन मंदिर में माता को स्थापित कराने वाले को माता स्वप्न में ही सचेत कर देती हैं. मां के स्वभाव के मुताबिक़, उन्हें केवल खुले आसमान के नीचे पीलू का पेड़ ही पसंद है.
Reporter: Bhanu Sharma