Dholpur News: राजस्थान के धौलपुर जिले के बाड़ी उपखण्ड के आसपास के इलाकों में नदी और तालाब किनारे इन दिनों सिंघाड़े की फसल की जा रही है, इस सिंघाड़े की फसल में अब फल भी आने लगे हैं. जो सड़क किनारे फड़ लगाकर बेचे जा रहे हैं. सिंघाड़े की इस जल खेती का मुख्य पेशा कश्यप समाज ही करता है. जिसके लिए वह होली से ही तैयारी शुरू कर देता है, पहले बेल लाकर नर्सरी में उगाई जाती हैं. इसके बाद बारिश होने पर उन्हें ताल तलैया और पोखरा में ले जाकर फैलाया जाता है.


पट्टा भी जारी किया गया है


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एक तालाब की फसल से करीबन 60 से 70 हजार रुपए की बिक्री होती है.जिसमें खर्चा करीबन 30000 का बैठता है. ऐसे में करीब 40000 की एक परिवार को आमदनी होती है. यह काम पुरखों से कश्यप समाज में होता आ रहा है, जिसके लिए उन्हें कृषि विभाग से पोखर और तालाब में जगह के लिए पट्टा भी जारी किया गया है, एक तालाब की खेती में पूरा परिवार ही लगा रहता है और फसल का हर समय ध्यान भी रखा जाता है.


कश्यप समाज के युवा विजय कश्यप और सतीश कश्यप ने बताया कि करौली धौलपुर हाईवे पर धौलपुर शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर मत्सुरा गांव के आसपास तालाब और पोखर काफी संख्या में है.जहां वे सिंघाड़े की खेती करते हैं. इसके लिए होली से तैयारी शुरू होती हैं, और बारिश के बाद तालाब में फसल की बेल डाली जाती है. 


बिक्री 40 से 50 रुपये में हो रही है


इसमें सामान्य खेती की तरह दवाइयां, खाद, डाई, यूरिया सभी डाला जाता है. जिसके बाद सितंबर के अंतिम दिनों में सिंघाड़े की पैदावार शुरू हो जाती है. सिंघाड़े की इस खेती में परिवार की महिलाएं भी मदद करती हैं.वर्तमान में एक किलो सिंघाड़े की बिक्री 40 से 50 रुपये में हो रही है. बंपर फसल होने पर यह रेट और कम हो जाती है.दीपावली बाद सिंघाड़ा 20 किलो बिकता है. जिसे लोग बढ़े चाब से खाते हैं.


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