Dungarpur news :प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले के  बांसवाड़ा समाज के लोगो द्वारा बनाए गए रावण का राजस्थान सहित गुजरात, महाराष्ट्र, एमपी और यूपी में दहन होगा . इस वर्ष बांसड समाज को रावण बनाने के कई ऑर्डर मिले है. जिसके तहत  बांसवाड़ा समाज के लोगो द्वारा रावण के पुतले को अंतिम रूप देने में लगे है .


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200 सालों से पुतले बना रहा है परिवार


बांस को अपने औजारों से आकार देते हुए हर प्रकार के दैनिक उपयोगी सामान बनाने में माहिर  बांसवाड़ा समाज पिछले 200 सालों से रावण और उसके परिवार के पुतले बना रहे हैं. पुतले कम खर्चीले, पर्यावरण के लिए लाभकारी और सुंदर आकर्षक बनाए जाते है. इस बार करीब 30 से ज्यादा शहरों में डूंगरपुर के कारीगर रावण के पुतले बना रहे हैं.


 यहां के कारीगरों द्वारा बनाए गए रावण परिवार के पुतले राजस्थान सहित समीपवर्ती गुजरात राज्य के कई शहरों, कस्बों में दशहरे के दिन आतिशी दहन के साथ जलेंगे. पुतलों का निर्माण करना यहां के  बांसवाड़ा समाज का पुश्तैनी पेशा है.


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बांसवाड़ा  समाज के लिए कमाई का बड़ा जरिया
 बांसवाड़ा समाज के कुछ लोगों ने दशकों पूर्व बांस की छाबड़ियां, टोकरे बनाने व बांस बेचने के पारंपरिक काम के साथ ही रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले बनाने का काम भी शुरु किया था. यह काम ऐसा फला फूला कि अब परिवार ने इसे कमाई का जरिया बना लिया है. यह परिवार पुतलों का कुछ भाग यहां तैयार कर निर्धारित स्थान पर ले जाकर पुतलों का पूरा ढांचा तैयार किया जाता है. बांसवाड़ा  समाज के करीब 100 परिवारों मुखिया से लेकर बच्चे तक इसमें जुटते है.


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 आय का 10 प्रतिशत हिस्सा बाबा रामदेव मंदिर को
बांसड़ समाज के हर युवा रावण बनाने के काम के लिए देशभर के अलग-अलग शहर और कस्बों में भी जाता है.ऐसे में अपने रावण से मिलने वाली आय का 10 प्रतिशत हिस्सा बाबा रामदेव मंदिर के लिए देने का प्रावधान है. इसके साथ ही डूंगरपुर नगर परिषद का ठेका भी हर बार रोटेशन पद्वति से अलग-अलग परिवार को मिलता है. रावण निर्माण से होने वाली आय के 10 प्रतिशत हिस्से से बाबा रामदेव मंदिर के माध्यम से उत्सव बनाया जाता है.इसके साथ ही समाज के विकास में काम आता है.