Dungarpur: राजस्थान के दक्षिण में बसा आदिवासी बाहुल्य जिला डूंगरपुर जिला 740 साल का हो गया है. आज डूंगरपुर अपना 741वा स्थापना दिवस मना रहा है. सात सदियों पहले डूंगरपुर शहर जो ऐतिहासिकता लिए हुए था आज भी वहीं विरासत और खूबसूरती को संजोए हुए है. 
शहर की गेपसागर, जूना महल से लेकर देवसोमनाथ, बेणेश्वर धाम और गलियाकोट दरगाह है. डूंगरपुर के विकास के साथ ही इन सभी स्थानों की खूबसूरती भी बढ़ती जा रही है.


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"सिटी ऑफ हिल्स" के नाम से मशहूर डूंगरपुर राजस्थान का एक खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल है, जो 13वीं शताब्दी के दौरान अस्तित्व में आया. डूंगरपुर की स्थापना 1282 ई. में रावल वीर सिंह ने की थी. उन्होंने यह क्षेत्र भील प्रमुख डुंगरिया को हराकर विजित किया था. इसीलिए इस जगह का नाम 'डूंगरपुर' पड़ा. वर्ष 1818 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था. पहले यह स्थान डूंगरपुर प्रिंसली स्टेट की राजधानी हुआ करती थी. डूंगरपुर नगर राजस्थान के प्रसिद्ध नगरों में से एक है. डूंगरपुर वास्तुकला की विशेष शैली के लिए जाना जाता है, जो यहां के महलों और अन्य ऐतिहासिक इमारतों में देखी जा सकती है. विजयगढ़ दुर्ग, जूना महल, बादल महल, राजराजेश्वर मंदिर और उदय विलास पैलेस सहित अनेक मंदिर इसके जीते-जागते उदाहरण है. 


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जानें डूंगरपुर की खूबियां
डूंगरपुर से होकर बहने वाली सोम ओर माही नदियां इसे उदयपुर और बांसवाड़ा से अलग करती हैं. "पहाड़ों का नगर" कहलाने वाले डूंगरपुर में जीव-जन्तुओं और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं. डूंगरपुर में पर्यटकों के लिए आकर्षण की विस्तृत विविधता मौजूद है. यहां पर्यटक ऐतिहासिक, धार्मिक और सुंदर प्राचीन संरचनाएं देख सकते हैं. डूंगरपुर विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों के बीच अपने शांतिपूर्ण माहौल स्वच्छता और सुंदरता के कारण लोकप्रिय बनता जा रहा है. 


3 दिवसीय होंगे आयोजन 
इधर स्थापना दिवस के इस खास मौके पर पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन ने भी तैयारी की है. कोरोना काल के 2 साल के अंतराल के बाद वागड़ महोत्सव के तहत इस बार 3 दिवसीय आयोजन होने जा रहे हैं. आज शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जिसमें लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. वही तीन दिवसीय आयोजनों के दौरान खेल-कूद प्रतियोगिताएं, दीपदान, आतिशबाजी ओर सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भी आयोजन किया जाएगा.


Reporter- Akhilesh Sharma