डूंगरपुर की नीरल बन रही प्रदेश की शान, इंस्टाग्राम पर हेयर बैंड बेच कमा रही लाखों
हुनर और मेहनत के दम पर युवा व्यापार के क्षेत्र में उतर कर अपनी किस्मत बदल रहे है. कुछ ऐसा ही किया है डूंगरपुर की बेटी नीरल ने , कोरोना काल मे टाइम पास करने के लिए हेयर बैंड बनाने का काम किया.
sucess story of nalini : हुनर और मेहनत के दम पर युवा व्यापार के क्षेत्र में उतर कर अपनी किस्मत बदल रहे है. कुछ ऐसा ही किया है डूंगरपुर की बेटी नीरल ने , कोरोना काल मे टाइम पास करने के लिए हेयर बैंड बनाने का काम किया. वही उसी काम को स्टार्टअप का रूप देते हुए अब नीरल आत्मनिर्भर बन रही है.
इंस्टाग्राम पर बेचना किया शुरू
नीरल ने हाथों से डिजाइन कर ''स्क्रंची'' (हेयर बैंड) बनाकर इंस्टाग्राम बेचना शुरू कर दिया. आज नीरल के ''स्क्रंची'' देश के 28 राज्यों तक पहुंच चुका है. नीरल को रोजाना देश के अलग - अलग कौन - कौन से ऑनलाइन ऑर्डर आया रहें है. इस स्टार्टअप से नीरल का सालाना टर्नओवर 4 लाख रुपए है.
एमएससी की छात्रा है नीरल
डूंगरपुर शहर के न्यू कॉलोनी की रहने वाली निरल पंचाल एमएससी की छात्रा है . लेकिन निरल पढ़ाई के साथ - साथ पार्ट टाइम बिजनेस कर रही है. इनका पार्ट टाइम बिजनेस ऐसा है कि उन्होंने देश हर कौन - कौन तक उनका प्रॉडक्ट पहुंच चुका है .
इंस्टाग्राम शुरू किया स्टार्टअप
निरल ने बताया कि कोरोना संकट के समय लॉक डाउन में कॉलेज बंद थी. निरल की दादी लक्ष्मी देवी सिलाई करती थी. बचपन से दादी उन्हें सिलाई लिखाई थी और उन्हों फटे टूटे कपड़ों से डिजाइन करने का शोक था. जब लॉकडाउन में सब कुछ बंद था. तब निरल स्कंची बनाना शुरू किया और इंस्टाग्राम में आईडी बनाकर बेचना शुरू किया. धीरे धीरे इंस्टाग्राम से उन्हें आर्डर आने लगे. बढ़ती डिमांड देखते हुए निरल ने अपना स्टार्टअप शुरू किया. खुद की वेबसाइट बनवा ली और उसको नाम दीया ई हेण्डी बाय निरल आज वेबसाइट पर देश के हर कोने से ऑनलाइन ऑर्डर आया रहे हैं .
स्कंची हेयर बैंड की है लाखों में है डिमांड
निरल के स्कंची इतनी डिमांड होने के पीछे वजह है कलर, डिजाइन और उसकी गुणवंता. निरल को अभी तक 28 राज्यों से आर्डर मिल चूके है और वहीं, निरल 680 पिन कोड पर प्रॉडक्ट डेलीवर्ड कर चुकी है.
50 हज़ार रूपयो से की शुरूवात
निरल ने बताया कि उनके स्टार्टअप के लिए परिवार वालों ने स्पोर्ट किया. बेटी को देश भर से ऑडर्र मिलने शुरू हुए, तो उसे कुछ मशीनों एवं प्रोडक्ट से संबंधित कच्चे माल की जरूरत थी. जिस पर परिजनों ने हौसला बढ़ाते हुए उसे उसके जरूरत की सामग्री उपलब्ध कराई. इसकी लागत अधिकतम 50 हजार रुपए तक आई. लेकिन, सालाना 4 लाख रूपये सेल कर रही है.
यह भी पढ़ेंः राजस्थान में पीएनजी और सीएनजी की दरों में कमी, 9 अप्रैल से लागू नई दरें
बहराल डूंगरपुर की बेटी आज अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने स्टार्टअप से बिजनेस कर रही है. इससे निरल खुद तो आत्मनिर्भर बन रही है . वहीं निरल अपने छोटे से बिजनेस में दो महिलाओ को भी रोजगार से दे रही है.