World Asthma Day 2023: आज पूरी दुनिया में वर्ल्ड अस्थमा डे (World Asthma Day 2023) मनाया जा रहा है. यह सांसों से जुड़ी गंभीर बीमारी मानी जाती है. अस्थमा के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत की होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल करीब 45 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह अस्थमा होती है. इनमें से 43 फ़ीसदी मौतें भारत की मानी जाती हैं. 


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कई बार अस्थमा के रोगियों को गलत जानकारी, बीमारी के इलाज में देरी और समय पर दवा ना मिल पाने के कारण भी यह रोग लोगों में तेजी से बढ़ रहा है. यह किसी को भी हो सकता है. अस्थमा बच्चों से लेकर व्यस्कों में भी आजकल पाया जाता है. अस्थमा के चलते वायु मार्गों के आसपास की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है, जिसके कारण रोगियों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है. 


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अस्थमा अटैक और भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है. वही सर्दी और बारिश के मौसम में अस्थमा के मरीजों की समस्याएं बढ़ जाती हैं. बेमौसम बारिश आजकल हो रही है. मौसम का अचानक मिजाज बदलने से मौसम में नमी और धूप की कमी अस्थमा के मरीजों पर भारी पड़ सकती है. जिस तरह का आजकल मौसम बना हुआ है, उससे अस्थमा अटैक का खतरा मरीजों में बढ़ जाता है. 


ज्यादातर डॉक्टर अस्थमा के मरीजों को हमेशा अपने पास इन्हेलर रखने की सलाह देते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि अस्थमा मरीज अपने पास इन्हेलर तो रखते हैं लेकिन उसका सही इस्तेमाल नहीं जानते हैं. आज विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर हम आपको बताते हैं कि अस्थमा के मरीजों को किस तरीके से इन्हेलर का इस्तेमाल करना चाहिए और इसका सही तरीका क्या है? 


हर समय पास रखें इन्हेलर 
कई बार अस्थमा के मरीज अपने पास हर समय इन्हेलर नहीं रखते हैं. उनका कहना है कि उन्हें ज्यादा तकलीफ नहीं होती है लेकिन यह उनकी गलत सोच है. हेल्थ एक्सपर्ट्स अस्थमा के मरीजों को इन्हेलर को मोबाइल की तरह अपने पास हर समय रखना चाहिए. मौसम चाहे ठंडी का हो या फिर मानसून का, इन्हेलर पास होना बेहद जरूरी होता है. मौसम में अचानक होने वाली ठंडक और नमी के चलते कई बार अस्थमा रोगियों के साथ नलिका में संकुचन होने का रिस्क बढ़ जाता है. अगर रोगियों को जुखाम या फिर कफ की परेशानी हो गई तो उसकी दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाती हैं. अस्थमा के मरीजों की सांस नली पतली या फिर ब्लॉक हो जाती है और उसको बहुत छोटी-छोटी सांसे आती हैं और दम घुटने सा लगता है. इस स्थिति को ही अस्थमा क्या कहा जाता है. इस सिचुएशन से निपटने के लिए इन्हेलर ही काम आता है. दरअसल, अस्थमा अटैक आने के समय जो इन्हेलर इस्तेमाल किया जाता है, उसके जरिए शरीर में पहुंचने वाली दवा ही सिकुड़ी हुई सांस नलियों को उसके वापस स्वरूप में करती है, जिससे मरीज को अचानक से ही आराम महसूस हो जाता है. 


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इस तरह करें इन्हेलर का प्रयोग
अगर आप इन्हेलर को सही तरीके से इस्तेमाल करना जानते हैं तो तभी दवा ठीक तरीके से फेफड़ों तक पहुंच पाती है, नहीं तो आपको इन्हेलर का कोई फायदा नहीं होता है. अस्थमा अटैक के समय इन्हेलर का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले सांस को छोड़कर फेफड़ों को पूरी तरह से खाली कर लेना चाहिए. इसके बाद इन्हेलर को मुंह पर लगाकर सांस को ठीक तरीके से अंदर खींचना चाहिए. करीब 10 सेकंड तक सांस को रोककर रखना चाहिए. इसके बाद नाक से सांस को छोड़ देना चाहिए. एक्सपोर्ट का कहना है कि इन्हेलर लेने के बाद कुल्ला जरूर करना चाहिए. नहीं तो दवा की गर्मी की वजह से रोगी के मुंह में छाले या फिर ड्राइनेस की परेशानी हो सकती है.


इन चीजों से दूर रहे मरीज
अस्थमा के मरीजों को सीलन, धूल के कणों, पालतू जानवर के फर, धुआं आदि से बचना चाहिए. यह सभी चीजें ही अस्थमा के मरीजों में अस्थमा अटैक का कारण बनती हैं.