पैरों से कुचलने के बाद इस तरह से बनाए जाते हैं सेहतमंद मखाने, सफाई के चहेते न देखें तस्वीरें

Makana Making Process: मखाना खाना आखिर किसे पसंद नहीं होता है. कुछ लोग इसे ड्राई फ्रूट के तौर पर खाते हैं तो कुछ लोग इसकी खीर बनाकर भी खाते हैं. सेहत के लिए मखाने के कई फायदे होते हैं. कई तरह के सेहत के गुणों से भरपूर मखाने ना केवल हड्डियों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी एजिंग गुणों से भरपूर होने की वजह से स्किन का ग्लो भी बढ़ाते हैं. सफेद रंग के छोटे-छोटे दानों की तरह दिखने वाले मखाने आपके हृदय का ख्याल तो रखते ही हैं वहीं गर्भावस्था में भी काफी फायदेमंद माने जाते हैं लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि यह मखाने आखिर बनते कैसे हैं? इसके बारे में अगर आपको पता चलेगा तो आप हैरान रह जाएंगे.

संध्या यादव Tue, 11 Jul 2023-9:11 am,
1/8

मखानों को काफी शुभ माना जाता है

लो कैलोरी हेल्दी फूड होने की वजह से मखानों को ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं. हिंदुओं के धार्मिक शास्त्रों में भी कमल के फूल यानी की मखानों को काफी शुभ माना जाता है और देवी लक्ष्मी को इसकी खीर चढ़ाई जाती है. कहते हैं कि अगर मखाने की खीर माता लक्ष्मी को चढ़ाई जाए, तो उससे घर के धन के भंडार भरे रहते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि मखाने आखिर बनते कैसे हैं. 

 

2/8

बड़ा मेहनत भरा है मखाने बनाने का तरीका

आप मखानों को तैयार करने की प्रक्रिया जानकर हैरान रह जाएंगे क्योंकि इन्हें बनाने की प्रक्रिया जटिल तो होती ही है लेकिन अगर आप इसका तरीका देख लेंगे तो सफाई पसंद लोगों का मन भी थोड़ा अजीब हो सकता है. मखानों को बनाने के तरीके को सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम अकाउंट foodie_incarnate पर शेयर किया गया है. इस वीडियो में मखाने बनाने का जो तरीका दिखाया गया है, उसे देखकर कई लोग हैरान रह गए हैं लेकिन आपके लिए यह जानना काफी एक्साइटमेंट भरा रहेगा कि मखाने आखिर बनते कैसे हैं तो चलिए आपको बताते हैं.

 

3/8

अप्रैल के महीने में इनके पौधों में फूल लगना शुरू हो जाते

अगर आप इसे फल या फूल मानते हैं तो आप गलत हैं. मखानों को एक तरफ से बीज माना जाता है और इनकी खेती उसने पानी वाले तालाबों में की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि दिसंबर से जनवरी के बीच में मखाना के बीजों को बोया जाता है और अप्रैल के महीने में इनके पौधों में फूल लगना शुरू हो जाते हैं. मखाने की फसल जुलाई के महीने में 24 से 48 घंटे तक पानी की सतह पर तैरती रहती है. इसके फल कांटेदार होते हैं और यह काफी वजनदार भी होते हैं. कुछ समय बाद यह पानी में नीचे जाकर बैठ जाते हैं. इनके कांटे गलने में 1 से 2 महीने का समय लगता है.

 

4/8

पानी के अंदर लगाना पड़ता है गोता

बता दें कि सबसे पहले मखाने के बीजों को इकट्ठा करने के लिए एक बड़े से तालाब के अंदर इंसान गोता लगाता है और फिर बड़े से बांस के टोकरे के जरिए कमल के बड़े-बड़े फूलों को पानी से बाहर निकाला जाता है. जिस पानी से मखानों को बाहर निकाला जाता है, वह काफी गंदा और भद्दे रंग का होता है. जो लोग मकानों की खेती करते हैं, वह इन्हें निकालने के लिए सबसे पहले पानी में डुबकी लगाकर पेड़ से गिरे मखानों को इकट्ठा करने के लिए अंदर जाते हैं. 

 

5/8

बांस के गाजे में होती है सफाई

ढेर सारे मखाने के बीजों को इकट्ठा करने के बाद उन्हें बांस के गाजे में भर दिया जाता है और फिर पानी के अंदर ही इनकी मिट्टी छुड़ाने के लिए जोर-जोर से हिलाया जाता है. इसके बाद फिर मखानों को एक बोरी में भरा जाता है और फिर उन्हें जमीन पर एक जाली बिछाकर डाल दिया जाता है. 

 

6/8

पैरों से कुचले जाते हैं मखाने

इसके बाद मखाने को बनाने के लिए करीब 2 से 3 लोग उन पर खड़े हो जाते हैं और पैरों से कुचलना शुरू कर देते हैं ताकि मकानों पर जमा सारा का सारा छिलका उतर जाए. इस काम को करने में करीब 15 से 20 मिनट तक लगते हैं. इसके बाद फिर से उन मखानों को बोरियों में भरा जाता है और बांस के गाजे में डालकर नदी के पानी से उनकी धुलाई की जाती है. बांस के गाजे को नदी के पानी में जोर-जोर से हिलकोरा जाता है. इस काम में 10 से 15 मिनट का समय लगता है.

 

7/8

कई कढ़ाहियों में भूने जाते

मखानों के काफी हद तक सूख जाने के बाद उन्हें एक बार फिर से बोरों में भर दिया जाता है. जब मखाने सूख जाते हैं तो इन्हें चूल्हों पर भूना जाता है और इसके लिए कई कढ़ाइयां लगी होती हैं. मखानों को एक के बाद एक दो से तीन कढ़ाइयों में डाला जाता है. 

 

8/8

छोटे-बड़े मखाने किए जाते अलग

जब मखाने भुन जाते हैं तो फिर उन्हें किसी भारी चीज से ठोका जाता है. इतनी मेहनत के बाद जाकर अच्छी गुणवत्ता वाला मखाना तैयार होता है हालांकि यहीं पर मखानों के बनने की मेहनत खत्म नहीं होती है. मखानों को एक जाली में डाला जाता है और फिर छाना जाता है. बड़े साइज के मकानों को छोटे साइज के मखानों को अलग किया जाता है. बता दें कि बड़े साइज वाले मखाने अधिक रूपों में बिकते हैं, वहीं छोटे साइज के मखानों के दाम कम होते हैं.

 

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link